लखनऊ में धरने पर बैठे अधिशासी अभियंता
स्वतंत्रदेश ,लखनऊ : प्रदेश सरकार के द्वारा लोक निर्माण विभाग के सात अधिशासी अभियंताओं को जबरन रिटायर किए जाने से साथी इंजीनियरों में आक्रोश है। शुक्रवार को उत्तर प्रदेश इंजीनियर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने राज्यपाल आवास के सामने स्थित विभाग मुख्यालय के बाहर एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन किया। पदाधिकारियों ने कहा कि जो 7 अधिशासी अभियंताओं को जबरन रिटायर्ड किया गया, उस फैसले पर उत्तर प्रदेश सरकार विचार करे। ऐसे फैसले से अभियंताओं के सामाजिक और मानसिक क्षति पहुंची है।
इन लोगों को जबरन किया गया था रिटायर
प्रदेश सरकार ने 10 अक्टूबर को आजमगढ़ में तैनात अधिशासी अभियंता राजेंद्र कुमार सोनवानी, मिर्जापुर में तैनात अधिशासी अभियंता देवपाल को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी थी। इसके अलावा एटा में तैनात विपिन पचौरिया, श्रावस्ती में तैनात पवन कुमार, खीरी एनएच विंग के अधिशासी अभियंता गिरजेश कुमार, बलिया के अधिशासी अभियंता राम केवल प्रसाद, सहारनपुर में तैनात अधिशासी अभियंता मदन कुमार संतोषी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई। यह कार्रवाई नियम-7 के तहत जांच और कार्य संतोषजनक न मिलने पर हुई थी। इस संबंध में शासनादेश भी जारी किया जा चुका है।
वीआरएस की स्वीकृति जैसा फैसला होना चाहिए
धरने पर बैठे पदाधिकारियों ने कहा कि बिना पूर्व सूचना के अनिवार्य सेवानिवृत करने करने से अभियंताओं सामाजिक और मानसिक क्षति पहुंची है। सरकार को बीएसएनल की तरीके से वीआरएस की स्वीकृति करने जैसा फैसला करना चाहिए। इस तरीके के फैसले के अभियंताओं में नाराजगी और रोष व्याप्त है। हम प्रदर्शन नहीं करना चाहते।