उपचुनाव में अपने ही वोट नहीं बचा पाई
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:यूपी में तीन सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा अपने वोटों को नहीं बचा पाई। भले ही भाजपा ने आजम खान का किला रामपुर भेद दिया। लेकिन मैनपुरी लोकसभा और खतौली विधानसभा चुनाव में उसके वोट खिसक गए। मैनपुरी में तो उन विधानसभाओं में भी भाजपा हार गई, जहां उसके विधायक हैं। जबकि 10 महीने पहले मैनपुरी की इन विधानसभाओं पर भाजपा ने जीत हासिल की थी।
मैनपुरी में भाजपा के 94 हजार वोटर सपा में गए
मैनपुरी में डिंपल की जीत काफी हद तक पहले से तय मानी जा रही थी। लेकिन, 2.88 लाख वोटों से उनकी रिकॉर्ड जीत ने भाजपा को चित कर दिया। दरअसल, मैनपुरी सपा का गढ़ है। इसके बावजूद 2017 विधानसभा चुनावों में भाजपा ने मुलायम के किले में सेंध लगाते हुए इसकी भोगांव विधानसभा सीट पर कब्जा किया। 2022 विधानसभा चुनावों में भाजपा ने ताकत झोंकी और भोगांव रिपीट करते हुए मैनपुरी सदर पर भी सीट हासिल की।यहीं से मैनपुरी में सपा के तिलिस्म को भेदने में भाजपा लग गई। 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी। लेकिन मुलायम ने करीब 94 हजार वोट के अंतर से यह सीट निकाल दी। मुलायम के निधन के बाद उपचुनाव में भी पूरी ताकत भाजपा ने लगाई। लेकिन, वह काम नहीं आई। पूरी काउंटिंग के दौरान ऐसा वक्त नहीं आया जब भाजपा के रघुराज शाक्य कहीं पर आगे गए हों। हालात यह रहे कि वह अपने बूथ पर भी हार गए।
उपचुनाव में मैनपुरी में हुई वोटिंग को अगर विधानसभावार देखें तो भाजपा अपनी जीती हुई विधानसभा सीटें हार गई। भोगांव में उसे 2022 विधानसभा चुनावों के मुकाबले इस बार 23390 कम वोट मिले। जबकि मैनपुरी सदर में उसे 30001 वोट कम मिले। पूरी लोकसभा में भाजपा के 94883 वोट सपा में शिफ्ट हो गए। यहां यह भी बता दें कि डिंपल को 6,18,120 वोट और भाजपा के रघुराज शाक्य को 3,29,659 वोट मिले। हालांकि, अपने पूरे वोट पाकर भी भाजपा नहीं जीत पाती।