नए श्रम मंत्री के सामने बड़ी चुनौतियां
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :नए श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने कार्यभार संभालते ही अधिकारियों को नए विचारों के साथ आने को कहा है, ताकि विभिन्न योजनाओं को समय सीमा भीतर लागू किया जा सके। यही उनकी चुनौती है। दरअसल, पूर्व श्रम मंत्री संतोष गंगवार समय सीमा खत्म होने के बावजूद श्रम संहिता लागू नहीं करा पाए। प्रवासी श्रमिकों की सुविधाओं के लिए पोर्टल भी आरंभ नहीं हो पाया। कोरोना काल में प्रवासी मजदूर गंभीर राजनीतिक मुद्दा बन गए थे। असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराना भी नए मंत्री की प्रमुख चुनौतियों में शामिल है।
चार श्रम संहिताओं को लागू कराने की चुनौती
वर्तमान राजग सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में सभी श्रम कानूनों को चार श्रम संहिताओं में बदलकर उसे लागू करवाने की घोषणा की थी। चार श्रम संहिताओं के लागू होते ही 44 प्रकार के केंद्रीय श्रम कानून निरस्त हो जाएंगे। इससे भारत में श्रम कानून की पेचीदगियों को लेकर कारोबार में होने वाली दिक्कतें दूर होंगी और भारत में औद्योगिक निवेश में बढ़ोतरी होगी।
सफल नहीं रहा मंत्रालय
पिछले वर्ष संसद से पारित श्रम संहिताओं को अभी तक अधिसूचित नहीं किया जा सका है। श्रम संहिता के अधिसूचित होने के बाद मंत्रालय वेज बोर्ड गठित करेगा जो न्यूनतम वेतन का प्रारूप तैयार करेगा। पिछले वर्ष श्रम मंत्रालय ने कहा कि अप्रैल, 2021 से श्रम संहिताओं को लागू कर दिया जाएगा लेकिन इस काम में मंत्रालय सफल नहीं रहा।
नए श्रम मंत्री के सामने दूसरी प्रमुख चुनौती प्रवासी श्रमिकों का पोर्टल शुरू करवाना है। कोरोना की पहली लहर में प्रवासी श्रमिकों को होने वाली दिक्कतों को देखते हुए सरकार ने इनके रजिस्ट्रेशन के लिए एक पोर्टल आरंभ करने का निर्णय लिया था।