सुशांत सिंह राजपूत केस में एक नया ट्विस्ट आया है। इस केस से जुड़ी सभी रिमांड याचिकाओं पर सुनवाई अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए होगी। कोरोना वायरस के ख़तरे और मीडिया के जमावड़े को दूर रखने के लिए मुंबई की एसप्लांडे कोर्ट ने यह आदेश दिया है। इस आदेश को अमलीजामा पहनाने के लिए अदालत ने कुछ निर्देश भी दिये हैं।
6 सितम्बर को इन-चार्ज चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट तेजाली टी दांडे की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि तुरंत प्रभाव से, सुशांत सिंह राजपूत केस से संबंधित सभी आरोपियों की रिमांड याचिका वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश की जाएगी।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, रिया चक्रवर्ती के वकील सतीश मानेशिंदे ने इस आदेश का स्वागत करते हुए मीडिया के व्यवहार बेहद आपत्तिजनक करार दिया। उन्होंने बताया कि गोवा मामले में एक आरोपी को कोविड हो चुका है। अगर कोई शख़्स आरोपी नहीं है या उसके ख़िलाफ़ कोई गम्भीर आरोप नहीं है, तो उसके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की आशंका बनी रहेगी।
सिर्फ़ दो जूनियर ले जा सकेंगे वकील
कार्यकारी सीएमएम ने आदेश दिया है कि ऐसे मामलों में वीडियो लिंक सीएमएम ऑफ़िस से जारी किया जाएगा, जो संबंधित जांच एजेंसियों के साथ गुप्त रूप साझा किया जाएगा। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और दूसरी जांच एजेंसी आवश्यक सॉफ्टवेयर और इंटरनेट कनेक्शन का इंतज़ाम करेंगी, ताकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बाधित ना हो। वीडियो लिंक्स सरकारी और बचाव पक्ष के वकीलों के साथ शेयर किए जाएंगे, जो इसकी गोपनीयता बनाए रखेंगे। फिर भी, अगर सरकारी या आरोपियों के वकील निजी तौर पर उपस्थित होना चाहें तो सिर्फ़ दो जूनियर्स को साथ आने की अनुमति होगी। रिमांड संबंधित दस्तावेज़ व्यक्तिगत या ईमेल के ज़रिए भेजे जा सकते हैं।
आरोपियों का कोविड-19 टेस्ट
एनसीबी या दूसरी एजेंसी को आरोपियों का कोविड-19 टेस्ट अपने परिसर में करवाना होगा, जिससे अस्पताल आने-जाने का समय बच सके और कानून व्यवस्था को लेकर कोई संकट पैदा ना हो। इस संबंध में बॉम्बे हाई कोर्ट, मुंबई पुलिस कमिश्नर, एनसीबी के ज़ोनल डायरेक्टर और सभी उच्चाधिकारियों को सूचित कर दिया गया है। बता दें, 14 जून को सुशांत का मृत शरीर उनके बांद्रा स्थित फ्लैट पर मिला था। मामले की जांच सीबीआई, ईडी और एनसीबी एजेंसियां कर रही हैं।