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Rahul Roy के जल्द ठीक होने के लिए सेलेब्रिटीज़ ने मांगी दुआ..

स्वतंत्रदेश लखनऊ राहुल रॉय कारगिल में डिजिटल फ़िल्म LAC- Live The Battle की शूटिंग कर रहे थे। इस दौरान उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार स्ट्रोक का असर उनके बोलने की शक्ति पर पड़ा है और उनकी सर्जरी करनी होगी।नब्बे के दौर में आशिक़ी फ़िल्म से रातोंरात स्टार बने एक्टर राहुल रॉय की सेहत के लिए बॉलीवुड सेलेब्रिटीज़ और फैंस दुआ कर रहे हैं। 52 साल के राहुल को कारगिल में शूटिंग के दौरान ब्रेन स्ट्रोक हुआ था। मुंबई के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। राहुल की सेहत स्थिर बतायी जा रही है।

राहुल रॉय कारगिल में डिजिटल फ़िल्म LAC- Live The Battle की शूटिंग कर रहे थे। इस दौरान उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ।क का असर उनके बोलने की शक्ति पर पड़ा है और उनकी सर्जरी करनी होगी।

हंसल मेहता ने राहुल के साथ अपना पुराना जुड़ाव याद करते हुए ट्विटर पर उनके जल्द ठीक होने की कामना की। हंसल ने लिखा- राहुल और मैंने पहली बार तब साथ में काम किया था, जब खाना ख़ज़ाना के अलावा बाहर कुछ काम किया था। यह ज़ी म्यूज़िक कम्पनी का एक म्यूज़िक वीडियो था, जो 1994 में आया था। वो हमेशा से गरिमामयी और दयालु किस्म के शख़्स रहे हैं।

मनोज बाजपेयी ने भी राहुल के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। वहीं, एक्ट्रेस कुब्रा सैत ने राहुल की एक और फ़िल्म जुनून का पोस्टर शेयर करके लिखा- राहुल जल्द ठीक होइए। अभी भी इस फ़िल्म को पहली बार देखने की यादें आती हैं तो रोमांच होने लगता है। राहुल रॉय कारगिल में डिजिटल फ़िल्म LAC- Live The Battle की शूटिंग कर रहे थे। इस दौरान उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ।

राहुल की कंडीशन को एफेसिया कहा जाता है, जिसमें व्यक्ति के बोलने, लिखने और भाषाओं को समझने की क्षमता प्रभावित होती है।आम तौर पर ऐसा सिर में चोट लगने की वजह से होता है। राहुल के साथ फ़िल्म में काम कर रहे निशांत सिंह मलकानी ने बताया कि मंगलवार को राहुल को आघात पहुंचा था। सोमवार की रात तक सब ठीक था। बिग बॉस 14 में नज़र आ चुके मलकानी के अनुसार, राहुल के स्ट्रोक की वजह मौसम हो सकता है, क्योंकि कारगिल में अभी माइनस 15 डिग्री तापमान है।

राहुल को मुंबई के नानावटी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। मंगलवार को राहुल की तबीयत कुछ ढीली लग रही थी और फिर अचानक हमने महसूस किया कि वो अपने संवाद ठीक से बोल नहीं पा रहे। ऐसा नहीं थी कि वो भूल गये हों, बल्कि शब्दों को मिलाकर वाक्य नहीं बना पा रहे थे। शाम तक, उनका व्यवहार बदलने लगा और हमें एहसास हुआ कि कुछ ठीक नहीं है।

 

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