जहां जिहाद होगा वहां लव नहीं होगा
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :यूपी स्टेट लॉ कमीशन के चेयरमैन जस्टिस आदित्यनाथ मित्तल ने कहा है कि जहां जिहाद होगा, वहां लव नहीं हो सकता और जहां लव होगा, वहां जिहाद नहीं हो सकता। मित्तल ने दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में ये बातें कही। मित्तल ने यूपी में पास होने वाले उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म समपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 को ड्राफ्ट किया है। इस अध्यादेश को योगी सरकार ने पास कर दिया है।
सवाल: लव जिहाद पर कानून बनाने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या इसके अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था ?
जवाब: 2019 में हमने इस ड्राफ्ट को तैयार करना शुरू किया था। तब जबरन धर्म परिवर्तन के बहुत से मामले सामने आ रहे थे। नवंबर 2019 में हमने सरकार को ड्राफ्ट सौंपा है जबकि इसके तीन महीने पहले से हमने स्टडी करनी शुरू कर दी थी। उस समय हमारे सामने 11 राज्यों के कानून थे। जिसमें मध्य प्रदेश, उड़ीसा, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, हिमाचल प्रदेश और झारखण्ड भी शामिल है। हमने सबका अध्ययन किया। हिमाचल 2006 में यह कानून था। 2019 में नया कानून बनाया गया।
सवाल: आखिर पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश और दूसरे राज्यों के कानून की स्टडी की जरूरत क्यों पड़ी?
जवाब: देखिए, धर्म परिवर्तन के मामले बढ़ रहे थे इसलिए जरूरत महसूस हुई कि यूपी के लिए भी कानून बनाया जाए। इसलिए स्टडी शुरू हुई। चूंकि इस बारे में यूपी विधान परिषद और विधानसभा में भी समय समय पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। 1954 से लेकर रिपोर्ट देने तक जितने भी प्रश्न पूछे गए थे। हमने उनकी भी स्टडी की। उन्हें रिपोर्ट में शामिल किया गया। लगभग 40 से 50 सवाल थे। इसके अलावा केंद्र में भी प्राइवेट बिल लाये गए। तीन बार ऐसा हुआ लेकिन प्राइवेट बिल पास नहीं होता है। हमने इसमें कांस्टीट्यूशनल डिबेट्स का भी अध्ययन किया। खासतौर पर अनुछेद 25 जो कि भारत के संविधान में है। उसमें मालूम पड़ा कि वहां भी यह पॉइंट आया था।
सवाल: लव जिहाद के नाम पर कोई डेटा तो राज्य सरकार के पास है नहीं, बिना डेटा आपकी स्टडी कैसे हुई ?
जवाब: लव जिहाद का कोई डेटा कहीं उपलब्ध नहीं है। न ही डीजी ऑफिस और न ही किसी अन्य प्लेटफार्म पर ऐसा कोई डेटा उपलब्ध है। हमने भी कोई डेटा जमा नहीं किया था। हमने तीन चार महीने की जो न्यूज़ रिपोर्ट्स थी उन्हें स्टडी किया। अपनी रिपोर्ट में पेपर कटिंग्स को पार्ट बनाया है।
जस्टिस आदित्यनाथ मित्तल ने यूपी लॉ सर्विस 1978 में जॉइन किया। इसके बाद वह अलग अलग पोस्ट पर रहे। जस्टिस मित्तल डायरेक्टर JTRI में रहे हैं। वह विधानसभा प्रमुख सचिव की पोस्ट पर भी रह चुके हैं। कानपुर देहात समेत कई जिलों में जिला जज के तौर पर भी पोस्टेड रहे हैं। 2012 में वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज बन कर पहुंचे। इसके बाद 4 दिसंबर 2016 को वह रिटायर हो गए और 18 अगस्त 2017 को वह स्टेट लॉ कमीशन के चेयरमैन बन गए।