नाटक से दिया बेटा-बेटी एक समान का संदेश
स्वतंत्रदेश , लखनऊ :जेहि कोखे बेटा जनमल, वही कोखे बिटिया…काहे कैला हो बाबूजी दुरंगी नीतियां… गाने से शुरुआत के साथ बेटा बेटी समान परवरिश, समान शिक्षा व छेड़खानी तक के मुद्दे को उठाया जाता है। नुक्कड़ नाटक दुरंगी नीतियां में ये सारे ही विषयों को संवेदनशीलता के साथ रखा गया। डॉ सीमा मोदी व टीम ने सृजन शक्ति वेलफेयर सोसाइटी की तरफ से प्लासियो मॉल, गोमतीनगर विस्तार में नाट्य मंचन किया। स्त्री सुरक्षा एवं स्वाभिमान को समर्पित योजना ” मिशन शक्ति” के प्रसार हेतु डॉ सीमा मोदी ने अपनी टीम के साथ नुक्कड़ नाटक का मंचन किया। लेखन वरिष्ठ रंगकर्मी केके अग्रवाल व निर्देशन डॉ सीमा मोदी का रहा। रितेश अस्थाना ने सहयोग दिया।
दुरंगी नीतियां” नाटक में दिखाया गया कि भाई व बहन के घरेलू नोंकझोंक में पिता द्वारा बेटी की पढ़ाई बंद करवा दी जाती है। मां इसके विरोध में खड़ी होती है, तब जाकर भाई व पापा को गलती का एहसास होता है और बेटी की शिक्षा आगे बढ़ती है। काॅलेज जाने वाली लड़कियों, महिलाओं या बच्चियों के साथ होती छेड़खानी व इसके समाधान को भी नाटक में पेश किया गया। ये नाटक की महिला पत्र रेवती को मनचले लड़कों द्वारा छेड़ने और परीक्षा देने जाने से रास्ते में रोकने पर महिला पुलिस अधिकारी द्वारा उन्हें सबक सिखाये जाने की कहानी है।
नाटक के कलाकार : सीमा मोदी, अखिलेश त्रिपाठी, नवनीत मिश्रा, रितेश अस्थाना, आशीष सिंह, स्वरिम अंसारी, मोनिस सिद्दीकी, अम्बरीष चतुर्वेदी, सौम्या मोदी, बृजेश चौबे, धीरज कुमार, अतुल पटवा, माला सिंह, मलिका गुप्ता, समृद्धि सिंह, समर्थ सिंह।