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पंजीकरण के बाद मोबाइल नंबर बदलकर हो रही चोरी

स्वतंत्रदेश ,लखनऊजीएसटी पोर्टल की खामियों का फायदा उठाकर लोहे के कारोबार में करोड़ों की टैक्स चोरी का संगठित जाल बुन दिया गया है। फर्मे जिस मोबाइल नंबर से पंजीकरण कराती हैं, कुछ ही समय बाद उसे बदल देती हैं और नए नंबर से ई-वे बिल जारी करने लगती हैं।

जीएसटी पोर्टल में मोबाइल परिवर्तन की सूचना स्वतः अपडेट न होने की वजह से विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगती। इस तरह एक ही मोबाइल नंबर पर सैकड़ों फर्मों का पंजीकरण होने के बावजूद विभाग को कोई जानकारी नहीं हो पाती। इसका फायदा उठाकर लोहे की फर्मों द्वारा टैक्स चोरी का सिलसिला बदस्तूर जारी है।जीएसटी व्यवस्था में हजारों सुधार के बावजूद टैक्स चोरी पर लगाम नहीं लग पा रही है। विभाग के मुताबिक यही वजह है कि अकेले यूपी में 10 हजार करोड़ से ज्यादा जीएसटी चोरी का अनुमान है, जिसमें लोहे के सिंडीकेट की बड़ी भूमिका है। लोहे में बड़े पैमाने पर हो रही टैक्स चोरी के लिए राज्य कर विभाग बड़े स्तर पर अभियान छेड़ने की तैयारी में है लेकिन जीएसटी पोर्टल की खामियां विभाग के लिए चुनौती बनी हैं।

बैंकिंग की तरह जीएसटी पोर्टल में बदलाव की जरूरत: विभागीय अधिकारियों के मुताबिक जिस तरह बैंक खाते से जुड़ा मोबाइल नंबर बदलते ही इसकी सूचना पूरे बैंकिंग चैनल में अपडेट हो जाती है। उसी तरह जीएसटी पोर्टल में भी बदलाव की जरूरत है। अभी जालसाज जिन दो मोबाइल नंबरों से फर्म का पंजीकरण कराते हैं। महीने भर के अंदर उसे बदल देते हैं और नए नंबर से ई वे बिल बनाने लगते हैं। अप्रत्याशित रूप से ई वे बिल जारी होने के बाद विभाग संदिग्ध पाए जाने पर जांच करता है, तब तक करोड़ों का खेल फर्म कर चुकी होती है। पिछले एक साल में ऐसे 20 से ज्यादा मामले पकड़े गए हैं, जिनमें बोगस फर्मों ने 5000 करोड़ से ज्यादा का कारोबार कर लिया।

दूसरे राज्यों में भी पंजीकरण : एक ही मोबाइल नंबर से सैकड़ों फर्मों का विभिन्न राज्यों में पंजीकरण कराने की जानकारी भी विभाग को नहीं मिल पाती। पिछले छह महीने में प्रदेश के 7 जिलों में ऐसे कई मामले पकड़े गए, जिसमें एक ही मोबाइल नंबर पर 50 से लेकर 300 फर्मों का पंजीकरण कराया गया। एक ही मोबाइल नंबर कई फर्मों के पंजीकरण का पोर्टल पर कोई अलर्ट नहीं है, जिसका फायदा संगठित रूप से टैक्स चोरी के रूप में उठाया जा रहा है।

जांच में फर्जी फर्मों की संख्या 122 हुई

– मुरादाबाद के एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-2 एसआईबी आरए सेठ के नेतृत्व में की गई कार्रवाई में लखनऊ के पते पर दर्ज एके इंटरप्राइजेज को लेकर दूसरे दिन बड़ा खुलासा हुआ। फर्म ने जीएसटी पंजीकरण के लिए दो मोबाइल नंबर दिए थे।

– एक मोबाइल नंबर से देशभर में 60 फर्मों का पंजीकरण किया गया तो दूसरे मोबाइल नंबर की जांच में उससे जुड़ी 62 फर्मे पाई गईं। कई फर्मों ने तो 10 से 15 करोड़ का कारोबार भी कर लिया। इस मामले में विभाग ने एफआईआर भी कराई है।

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