उत्तर प्रदेशराज्य

लखनऊ बस हादसे में तीन वजहों ने ले ली पांच की जान

स्वतंत्रदेश ,लखनऊहादसे की पहली वजह रफ्तार : प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि रोडवेज बस की रफ्तार बहुत तेज थी। इसी वजह से चालक नियंत्रण खो बैठा।
हादसे की दूसरी वजह अंधेरा : जिस जगह पर हादसा हुआ वहां हाईवे पर अंधेरा था। रोशनी होती तो शायद हादसा बच सकता था।
हादसे की तीसरी वजह रोड़ा: रास्ते पर ही ट्रैक्टर टैंकर एक किनारे खड़ा था जो दूर से नजर नहीं आया और हादसा हो गया।


हादसे की तीसरी वजह रोड़ा: रास्ते पर ही ट्रैक्टर टैंकर एक किनारे खड़ा था जो दूर से नजर नहीं आया और हादसा हो गया।

लखनऊ के काकोरी के टिकैतगंज के पास बृहस्पतिवार शाम करीब सात बजे हुए हादसे की वजह लोगों ने बस की तेज रफ्तार, सड़क पर अंधेरा और वहां मौजूद ट्रैक्टर-टैंकर को बताया है। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हादसे के वक्त बस की रफ्तार 80 से 90 किमी प्रति घंटे की थी। गांव के रहने वाले बबलू रावत और नरेश रावत ने बताया कि घटनास्थल पर टैंकर सड़क किनारे लगे पौधों में पानी डाल रहा था। कुछ मजदूर काम कर रहे थे। पास में दो बाइक सवार भी खड़े थे। इस दौरान हरदोई की तरफ से कैसरबाग डिपो की बस तेज रफ्तार में आई। सबको रौंदते हुए करीब आठ बार लुढ़क कर खाई में जा गिरी। अंधेरा होने की वजह से बस चालक सड़क किनारे खड़े टैंकर को नहीं देख सका। पानी डाल रहा था। कुछ मजदूर काम कर रहे थे। पास में दो बाइक सवार भी खड़े थे। इस दौरान हरदोई की तरफ से कैसरबाग डिपो की बस तेज रफ्तार में आई। सबको रौंदते हुए करीब आठ बार लुढ़क कर खाई में जा गिरी। अंधेरा होने की वजह से बस चालक सड़क किनारे खड़े टैंकर को नहीं देख सका।

बयान में विरोधाभास… जांच से उठेगा पर्दा: बस चालक, परिचालक और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान में विरोधाभास है। ऐसे में हादसे की वजह को लेकर सवाल उठ रहे हैं। परिवहन विभाग के अधिकारियों ने अस्पताल जाकर चालक और परिचालक का हाल लिया। बताया जा रहा है कि मामले की जांच के बाद ही हादसे की वजह पता चलेगी।

ऐसा लगा की कोई धमाका हो गया था: टिकैतगंज गांव निवासी राजकुमार रावत, बैजनाथ रावत, कोटेदार चंद्रप्रकाश रावत और प्रधान पति महेंद्र रावत ने बताया कि हादसे के वक्त वह लोग गांव में मौजूद थे। टक्कर होते ही तेज धमाके जैसी आवाज उन्हें सुनाई दी। बिना वक्त गंवाए वह लोग भागकर हाईवे पर पहुंचे। वहां का मंजर देख सन्न रह गए। बीच सड़क पर टैंकर पलट हुआ था। चीख-पुकार मची थी। वह लोग जब घटनास्थल के करीब पहुंचे तो खाई में रोडवेज की बस गिरी दिखी।

दो सावधानियां होतीं तो बच सकता था हादसा
1. रेलिंग: घटनास्थल पर रोड लाइट के साथ ही रेलिंग भी नहीं लगी थी। अगर रेलिंग लगी होती तो शायद इतना बड़ा हादसा नहीं होता। बस रेलिंग से टकराकर रुक जाती और लोगों को अपनी जान नहीं गंवानी पड़ती।

2. रिफ्लेक्टर: सड़क किनारे लगे पौधों में पानी डाल रहे टैंकर में रिफ्लेक्टर नहीं लगा था। अगर रिफ्लेक्टर लगा होता तो बस की लाइट उस पर पड़ते ही दूर से चमकने लगता और बस चालक को टैंकर दिख जाता।

घायलों को मुआवजा: परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हादसे में सामान्य घायलों को 10 हजार और गंभीर को 25 हजार रुपये की सहायता दी जाएगी।

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