यूपी विधानमंडल का शीतकालीन सत्र .. दिसंबर से
स्वतंत्रदेश,लखनऊविधानमंडल का शीतकालीन सत्र 16 दिसंबर से शुरू होगा। इस बार विधानसभा व विधान परिषद दोनों ही सदनों में संभल की घटना को लेकर हंगामा होने के आसार हैं। इस बार का सत्र संक्षिप्त रहने की उम्मीद है। केवल चार से पांच दिन ही चलने की संभावना जताई जा रही है। सरकार इसमें वित्तीय वर्ष 2024-25 का दूसरा अनुपूरक बजट पेश करेगी।
विधानसभा व विधान परिषद सचिवालय ने गुरुवार को 16 दिसंबर से सत्र शुरू होने की अधिसूचना जारी कर दी है। विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार 16 दिसंबर को दिन में 11 बजे से सत्र शुरू किया जाएगा।
वहीं, विधान परिषद के प्रमुख सचिव डा. राजेश सिंह ने भी इसकी अधिसूचना जारी कर दी। इस सत्र में सबसे बड़ा मुद्दा संभल हिंसा होगा। इस पर विपक्ष हंगामा करेगा। बिजली क्षेत्र के निजीकरण का मुद्दा भी सत्र के दौरान उठ सकता है। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को सदन में घेर सकती है। सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण विधेयक और अध्यादेश लाए जाएंगे।पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री व उत्तर प्रदेश संसदीय संस्थान के अध्यक्ष डा. अम्मार रिजवी ने कहा है कि प्रदेश के विकास में पूर्व विधायकों की भागीदारी जरूरी है। उन्होंने कहा कि जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर पूर्व विधायकों की समस्याओं से उन्हें अवगत कराया जाएगा। साथ ही संस्थान के भवन के लिए भूखंड उपलब्ध कराने व पांच लाख रुपये का वार्षिक अनुदान देने की मांग की जाएगी।गुरुवार को विधान भवन के द्वितीय तल पर स्थित कमेटी कक्ष में संस्थान की बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास में पूर्व विधायक अपनी भागीदारी निभाना चाहते हैं, लेकिन जिला व राज्य प्रशासन द्वारा पूर्व विधायकों का संज्ञान न लिया जाना चिंता का विषय है। लोगों की समस्याओं को लेकर पूर्व विधायकों को लखनऊ एवं दिल्ली जाना पड़ता है। इसलिए दिल्ली व लखनऊ में स्थित सरकारी अतिथि गृहों में उनके प्रवास की सुविधा को सरल बनाने की आवश्यकता है।जिला विकास योजनाओं की बैठकों में पूर्व विधायकों की भागीदारी सुनिश्चित कराने, पूर्व विधायकों के वाहनों पर वसूले जा रहे टोल टैक्स को माफ किए जाने की भी मांग भी उठाई गई। पूर्व विधायकों ने यह मांग भी की कि उन्हें एसजीपीजीआइ व लोहिया संस्थान सहित सभी बड़े अस्पतालों में निशुल्क उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। ‘बैठक में यह मांग भी उठाई गई कि पूर्व विधायकों को मुख्यमंत्री से मिलने के लिए सप्ताह में एक दिन का समय निर्धारित किया जाए व उनकी शिकायतों को हल करने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय में एक विशेष कार्याधिकारी की तैनाती की जाए।