ज्ञानवापी केस में अहम फैसला सुनाने वाले रिटायर जज बोले
स्वतंत्रदेश,लखनऊजिला जज के पद से सेवानिवृत्त हुए डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा कि हम न्यायिक सेवा में हैं। 31 जनवरी को अवकाश ग्रहण किया है। जब तक मैं न्यायिक सेवा में रहा, मैंने पूरी निष्ठा के साथ अपना कार्य मेहनत के साथ किया। मेरे मन में एक इच्छा हमेशा रहती थी कि जो भी मैं जजमेंट या आदेश लिखूं वह बेहतरीन होना चाहिए। उसमें कोई कमी नहीं होनी चाहिए। मैं एक बार, दो बार, तीन बार पढ़कर उसको करेक्ट करके अपने फैसले लिखता था।
ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा की अनुमति का आदेश देने के मामले में उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को सुनकर आदेश किया गया है। जब भी कोई प्रार्थनापत्र आया तो दोनों पक्षों को सुनकर फैसला सुनाया गया। न्याय के उद्देश्यों को पूरा करके ही फैसले सुनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि न्यायिक सेवा के दौरान प्रयास करता था कि जो जजमेंट हैं वह न्याय प्राप्त करने के उद्देश्य से लिखे जाएं और उसमें किसी प्रकार की गलती न रहे। इसी वजह से जो भी फैसले मैंने किए। उसमें ध्यान रखा कि पदावली पर जो साक्ष्य हैं, इसी भावना से फैसले करूं।
कोर्ट में सुनाया गया फैसला जिसके पक्ष में होता वह मुस्कुराते हुए जाता और जिसके खिलाफ रहता था वो विरोध करना शुरू कर देते हैं। ऐसे कई मामले सामने आए हैं। इसे लेकर मैं विश्वास दिलाता हूं कि जो भी फैसले सुनाए जाते हैं वह पत्रावली और साक्ष्य के आधार पर होते हैं। उसके अलावा कुछ नहीं रहता।