यूपी सहित 21 राज्य सड़क हादसे रोकने के लिए एकजुट
स्वतंत्रदेश ,लखनऊवाहनों की बढ़ती संख्या, सड़कों के खराब डिजाइन, गड्ढे, यातायात नियमों की अनदेखी और अफसरों की लापरवाही आदि वजहों से सड़क हादसे बढ़ रहे हैं। ऐसे में हादसे रोकने के लिए यूपी सहित 21 राज्य एकजुट हुए हैं और ये 12 बिंदुओं पर मिलकर काम करेंगे। यह निर्णय यूपी और बंगलूरू के क्षेत्रीय निरीक्षकों ने कानपुर रोड स्थित एक निजी होटल में आयोजित सड़क सुरक्षा और नवाचार पर राष्ट्रीय कार्यशाला के अंतिम दिन लिया गया।कार्यशाला में सिकर, राजस्थान के एआरटीओ और रोड सेफ्टी के मुख्य सलाहकार वीरेंद्र सिंह राठौर ने सड़क सुरक्षा से जुड़े 12 बिंदुओं का प्रेजेंटेशन दिया। कार्यशाला में महाराष्ट्र, बिहार, मध्यप्रदेश, केरल, बंगाल, राजस्थान, तमिलनाडु, दिल्ली के प्रतिनिधि शामिल हुए। इसके अतिरिक्त समापन सत्र में क्षेत्रीय निरीक्षकों ने यह बात भी कही कि सड़क हादसे रोकने के लिए अफसरों को अपनी जिम्मेदारी ढंग से निभानी होगी।
बगैर आवेदक आए ड्राइविंग टेस्ट में पास करना और बगैर वाहन के फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करना आपराधिक कृत्य है। उपाध्यक्ष प्रशांत कुमार और विष्णु कुमार ने सभी डेलीगेट को धन्यवाद ज्ञापित किया। महाराष्ट्र के क्षेत्रीय निरीक्षक सचिन कुमार ने बताया कि सड़क की डिजाइन के हिसाब से संकेतक, चिह्न का होना जरूरी है। ब्लैक स्पॉट की परिभाषा, पहचान और सुधार पर काम करने की जरूरत है। सड़क निर्माण ट्रैफिक इंजीनियर की निगरानी में होना चाहिए। हर छह महीने में सड़क सुरक्षा ऑडिट हो।
इन बिंदुओं पर करेंगे काम
जिन बिंदुओं पर काम करेंगे उनमें राजमार्गों पर जीरो एक्सीडेंट के लिए विशिष्ट रणनीति बनाने, एक दिवसीय व्यापक सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान चलाने, मुख्यमंत्री हेलमेट प्रोत्साहन, शिक्षा, जागरूकता अभियान, यूपी सड़क सुरक्षा शिक्षा एवं जागरूकता मिशन में शामिल करने, क्रैश इन्वेस्टिगेशन यूनिट की स्थापना करने, मुख्यमंत्री सर्वाधिक सुरक्षित विद्यालय पुरस्कार योजना बनाने, सभी ब्लॉक स्तर के लिए सीएम ग्रामीण लोक परिवहन सेवा योजना, पीपीपी मॉडल के जरिये राजमार्गों पर ट्रॉमा सेंटरों की स्थापना, खेल के मैदानों सहित ट्रैफिक पार्क व ड्राइविंग ट्रैक बनाने, वाहन चालकों के प्रशिक्षण हेतु प्रोत्साहन योजना बनाने, सड़क सुरक्षा प्राधिकरण अधिनियम लाने पर काम करने व सभी जिला मुख्यालयों पर व्यापक मीडिया अभियान की रूपरेखा बनाने की बात शामिल है।
रिक्त पद भरने की उठी मांग
उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय निरीक्षकों की संख्या बेहद कम है। यही नहीं दूसरे जितने पद स्वीकृत हैं, उनमें भी आधे से अधिक खाली पड़े हैं। इससे काम प्रभावित हो रहा है। कुल 123 पदों के सापेक्ष सिर्फ 66 निरीक्षक ही तैनात हैं। इन्हें वर्दी व धुलाई का पैसा भी नहीं दिया जाता, जबकि अन्य राज्यों में इसके लिए 10 हजार रुपये तक मिलता है। क्षेत्रीय निरीक्षकों के पास कार्यों की भी अधिकता है। ऐसे में खाली पदों को जल्द भरे जाने की मांग की गई।