चांद की 16 कलाओं पर चंद्र ग्रहण का साया
स्वतंत्रदेश ,लखनऊशनिवार 28 अक्तूबर को खंडग्रास चंद्र ग्रहण लग रहा है और इसी दिन शरद पूर्णिमा भी है। मान्यता अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात खुले आकाश के नीचे खीर रखी जाती है। माना जाता है कि इस दिन चांद से अमृत वर्षा होती है और चांद अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है।इस बार चांद की इन कलाओं पर ग्रहण का साया रहेगा। हालांकि, ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि खीर बनाएं, भोग लगाएं, खुले आकाश के नीचे भी रखें, पर कुछ सावधानियों के साथ। व्रत भी रखा जा सकता है। चंद्र ग्रहण का सूतक शुरू होने के साथ शहर के मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे।
ज्योतिषाचार्य धीरेन्द्र पांडेय व एसएस नागपाल के मुताबिक, चंद्र ग्रहण रात 1.05 बजे से शुरू होगा और 2.23 मिनट तक रहेगा। सूतक काल नौ घंटे पहले शुरू हो जाएगा। वैदिक ज्योतिष शोध परिषद के अध्यक्ष महामहोपाध्याय डॉ. आदित्य पांडेय कहते हैं कि ग्रहण का सूतक प्रभावी माना जाता है।
ग्रहण से पूर्व खुले आकाश में तुलसी डालकर या कुशा रखकर खीर रखी जा सकती है या फिर ग्रहण काल समाप्त होने पर इसे रखना मान्य होगा। इसी तरह व्रत रखने और पारण करने में भी मनाही नहीं है।