खराब सड़कों से 14 फीसदी हादसे
स्वतंत्रदेश , लखनऊ:खराब सड़कों की वजह से हादसे हो रहे हैं। अब तक ऐसे 14 फीसदी मामले सामने आए हैं। अनफिट वाहन, गलत पार्किंग और छुट्टा पशुओं के साथ ही मानवीय भूल से भी जान जा रही है। यह सच संभागीय परिवहन विभाग के सर्वे से उजागर हुआ है।बीते 22 महीने के दौरान वाराणसी में 732 सड़क हादसे हुए हैं। इनमें 415 की मौत हुई। 452 गंभीर रूप से घायल हुए हैं। संभागीय परिवहन विभाग के मुताबिक सर्वे से पता चला कि 21 फीसदी दुर्घटनाएं अनफिट वाहनों की वजह हुई हैं। 43 फीसदी हादसों के लिए मानवीय भूल जिम्मेदार है। खराब सड़कों के कारण 14 फीसदी हादसे हुए हैं। 22 फीसदी हादसों के लिए गलत पार्किंग, छुट्टा पशु सहित अन्य कारण जिम्मेदार हैं।

उम्र पूरी, फिर भी चल रहे वाहन
अपनी 15 साल की उम्र पूरी कर चुके 80 हजार से ज्यादा अनफिट वाहन सड़कों पर चल रहे हैं। इनमें पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों से वाराणसी आने वाले वाहनों की संख्या भी ज्यादा है। इससे हादसे का खतरा बना रहता है। इसकी पुष्टि संभागीय परिवहन विभाग ने भी की है।
वर्तमान में एक लाख से ज्यादा वाहन कंडम होने के कगार पर हैं। इनमें से 70 फीसदी वाहनों के पंजीकरण निरस्त हैं। मगर, वाहन स्वामी जुगाड़ से फिटनेस कराकर चल रहे हैं।
नींद, साफ न दिखना और गलत लेन में वाहन चलाना खतरनाक
सड़क हादसों की जांच के बाद संभागीय परिवहन विभाग की टीम कारण तलाशती है। संभागीय निरीक्षक पीयूष कुमार ने बताया कि अब तक की जांच में यह स्पष्ट है कि सबसे ज्यादा हादसे मानवीय भूल की वजह से ही होते हैं। इसमें चालक को नींद आना, साफ दिखाई नहीं देना, गलत लेन में वाहन ले जाना सहित अन्य कारण है। मगर, वाहनों के फिटनेस की वजह से भी बड़े हादसे होते हैं। इसमें ब्रेक, लाइट और हैंडल का सही काम नहीं करने की वजह भी गंभीर दुर्घटनाएं हो रही हैं।
20 साल है निजी वाहनों की आयु
निजी वाहनों के पंजीकरण 15 साल के लिए किए जाते हैं। इसके बाद उनके फिटनेस का प्रावधान है। परिवहन विभाग में फिटनेस लेकर पांच साल के लिए इनका पंजीकरण और बढ़ाया जाता है। जबकि व्यावसायिक वाहन 10 साल के लिए पंजीकृत होते हैं और फिटनेस के बाद पांच साल इनकी उम्र और बढ़ने का प्रावधान है। परिवहन विभाग प्रतिमाह 30 से 50 वाहनों का पंजीयन निरस्त कर रहा है। मगर, आंकड़ों के अनुसार यह संख्या काफी कम है।
प्रदूषण का भी बड़ा कारण
प्रदूषण जांच के लिए शहर में 52 केंद्र अधिकृत हैं। मगर, कागजी खानापूर्ति और लापरवाही के चलते ज्यादातर वाहनों की प्रदूषण जांच ही नहीं कराई जाती है। जबकि वाहनों से नाइट्रोजन और कार्बन डाईऑक्साइड के साथ सड़कों की धूल भी उड़ती है।
प्रतिमाह 30 से 50 वाहनों का पंजीकरण निरस्त कर उनसे चेचिस का प्रमाण पत्र जमा कराया जाता है। उम्र पूरी होने के बाद भी चलने वाले वाहन सीज किए जा रहे हैं। – सर्वेश कुमार चतुर्वेदी, एआरटीओ प्रशासन