आयकर विभाग के छापों में बड़ा खुलासा
स्वतंत्रदेश, लखनऊ :पूर्व मंत्री एवं सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां और उनके करीबियों के ठिकानों पर बीते तीन दिन से जारी आयकर विभाग के छापों के बाद बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया है कि आजम खां ने जौहर ट्रस्ट के जरिए करीब 800 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी की है। रामपुर में जौहर ट्रस्ट द्वारा मौलाना अली जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण में करोड़ों रुपये की अनियमितताएं करके यह टैक्स चोरी अंजाम दी गई। आयकर विभाग ने जौहर ट्रस्ट के कुछ पदाधिकारियों के ठिकानों से करीब दो करोड़ रुपये नकद बरामद किया है। इसके अलावा कुछ सोने के जेवरात भी मिले, जिनका मूल्यांकन कराकर वापस दे दिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक आजम खां ने जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण में 40 करोड़ रुपये खर्च होने का दावा किया, जो जांच में गलत पाया गया। आयकर विभाग ने जब विश्वविद्यालय के भवनों का इंजीनियरों के जरिए मूल्यांकन कराया, तो इसकी लागत एक हजार करोड़ रुपये से अधिक मिली। हालांकि इसमें भूमि की खरीद को शामिल नहीं किया गया है।
भूमि खरीद की पड़ताल के बाद टैक्स चोरी का आंकड़ा बढ़ सकता है। वहीं, आजम खां और ट्रस्ट के पदाधिकारी निर्माण कार्य में हुए खर्च का ब्योरा प्रस्तुत नहीं कर सके। जिन सप्लायरों और ठेकेदारों को बिना टीडीएस काटे भुगतान किया गया, उनके नाम तक नहीं बता सके। वहीं, शुक्रवार को कुछ ठिकानों को छोड़कर आयकर विभाग के छापों की कार्रवाई तकरीबन समाप्त हो गयी। सभी ठिकानों से मिले दस्तावेजों को लखनऊ लाया जा रहा है, जहां विश्लेषण करने के बाद संबंधित लोगों को बुलाकर पूछताछ की जाएगी। साथ ही छापों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट दिल्ली में सीबीडीटी मुख्यालय भेजी जाएगी।
40 में से दो इमारतें मिली सही
जौहर विश्वविद्यालय की जांच में सामने आया कि पूरे परिसर में 40 इमारतें बनायी गयी, जिसमें से केवल दो नियम के मुताबिक मिलीं। शेष इमारतों में हुए खर्च को कोई हिसाब नहीं मिल सका है। यह भी पता चला कि जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण से पहले पीडब्ल्यूडी का गेस्ट हाउस, सड़क और 32 केवीए का सब स्टेशन बनाया गया था। बाद में आजम खां ने सरकारी जमीनों पर कब्जा करके विश्वविद्यालय की बाउंड्रीवाल बनवाई, जिसमें तीनाें सरकारी इमारतों को परिसर में शामिल कर लिया गया।
पीडब्ल्यूडी दफ्तर पहुंची टीम
विश्वविद्यालय परिसर में तमाम सरकारी खर्च पर हुए निर्माण को लेकर आयकर विभाग की टीम रामपुर स्थित पीडब्ल्यूडी के दफ्तर पहुंची, जहां पर दस्तावेजों को अपने कब्जे में लिया गया। दरअसल, जांच में पता चला है कि विश्वविद्यालय की तमाम इमारतों में अलग-अलग सरकारी विभागों ने अपना बजट खर्च किया था। निजी विश्वविद्यालय होने के बावजूद नियमों को धता बताते हुए यह फर्जीवाड़ा अंजाम दिया गया।