उत्तर प्रदेशलखनऊ

फर्जी शिक्षकों की जांच अटकी

स्वतंत्रदेश, लखनऊ:बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी तरीके से नियुक्त शिक्षकों के खिलाफ एसटीएफ की गोपनीय जांच अटक गई है। इन शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज देने में विभाग आनाकानी कर रहा है। एसटीएफ के अपर पुलिस अधीक्षक सत्यसेन यादव ने डीजी स्कूल शिक्षा एवं राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा को पत्र लिखकर दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए समस्त बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश देने को कहा है।

एसटीएफ ने बीते दिनों 28 जिलों में तैनात 235 शिक्षकों की नियुक्ति और शैक्षणिक योग्यता से संबंधित दस्तावेज मांगे थे। इनमें सर्वाधिक 92 शिक्षक देवरिया के हैं। कई जिलों के बीएसए ने एसटीएफ को सिर्फ अस्पष्ट शैक्षणिक दस्तावेज देकर पल्ला झाड़ लिया। एसटीएफ ने आशंका जताई है कि इसमें देरी करने पर दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ हो सकती है। एसटीएफ ने डीजी से अनुरोध किया है कि संबंधित जिलों के शिक्षकों की नियुक्ति और शैक्षिक दस्तावेजों की पठनीय प्रति उपलब्ध कराई जाए। साथ ही मूल निवास, जाति व दिव्यांगता प्रमाण पत्र आदि को सत्यापित कराकर एसटीएफ मुख्यालय को मुहैया कराया जाए।

इन जिलों के शिक्षकों के मांगे दस्तावेज

देवरिया, मथुरा, बलिया, संत कबीरनगर, प्रतापगढ़, जौनपुर, गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज, सुल्तानपुर, बस्ती, हमीरपुर, उन्नाव, गोंडा, बलरामपुर, आगरा, अलीगढ़, एटा, प्रयागराज, कौशांबी, मुरादाबाद, लखनऊ, रायबरेली, अंबेडकरनगर, सोनभद्र, गाजीपुर, बदायूं व ललितपुर।

37 अब तक गिरफ्तार, 50 हजार के फर्जी होने का अनुमान

2017 से फर्जी तरीके से नियुक्त शिक्षकों की गोपनीय जांच एसटीएफ कर रही है। अब तक 37 फर्जी शिक्षकों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। 2020-21 में कुल 105 फर्जी शिक्षकों को चिह्नित कर संबंधित बीएसए के माध्यम से कानूनी कार्रवाई की गई है। एसटीएफ अब तक कुल 149 मामलों में 318 फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई कर चुकी है। एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक पूरे प्रदेश में तकरीबन 50 हजार फर्जी शिक्षकों के कार्यरत होने का अनुमान है। एसटीएफ की जांच में कई जिलों के बीएसए और शिक्षा विभाग में कार्यरत कर्मचारियों की संलिप्तता के प्रमाण भी हाथ लगे थे। इनके खिलाफ एसटीएफ ने कार्रवाई करने के लिए कई बार पत्र भी लिखा।

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