आधे डॉक्टर छुट्टी पर, केजीएमयू में इलाज राम भरोसे
स्वतंत्रदेश , लखनऊ:किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में मंगलवार से आधे डॉक्टर एक माह के ग्रीष्मकालीन अवकाश पर चले गए। ये डॉक्टर जब लौटेंगे, तब बचे हुए डॉक्टर अवकाश पर जाएंगे। यानी दो महीने मरीजों की जान पर आफत रहेगी। दावा भले ही किया जा रहा हो कि ओपीडी और इमरजेंसी सेवाएं इस दरम्यान नहीं प्रभावित होंगी, पर हकीकत यह है कि हर साल ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान बड़े पैमाने पर मरीजों के ऑपरेशन टलते हैं। जबकि पहले से ही कई विभागों में सर्जरी के लिए महीनों की लंबी वेटिंग चल रही है।केजीएमयू में इस समय करीब 450 डॉक्टर हैं। विश्वविद्यालय की स्थापना मेडिकल कॉलेज के रूप में हुई थी। चिकित्सा की पढ़ाई के लिए यहां अस्पताल का संचालन और इलाज किया जाता है। इसीलिए शिक्षकों की तरह ही यहां के डॉक्टरों को भी ग्रीष्मकालीन अवकाश की सुविधा मिलती है। दावा किया जाता है कि व्यवस्था बनी रहे, इसीलिए एक बार में आधे डॉक्टरों को ही छुट्टी दी जाती है। इस तरह से ओपीडी की कोई भी यूनिट बंद नहीं होती है। पर, ऑपरेशन के मामले में यह बात पूरी तरह से लागू नहीं हो पाती। क्योंकि, सर्जरी करने वाले हाथ कम हो जाते हैँ। इससे ऑपरेशन के मामलों में वेटिंग और बढ़ती जाती है।
ग्रीष्मकालीन अवकाश की व्यवस्था बरसों से चली आ रही है। इससे मरीजों को परेशानी तो होती है, डॉक्टर भी खुश नहीं हैं। डॉक्टर कहते हैं कि इस व्यवस्था में उन्हें कोई फायदा नहीं। क्योंकि छुट्टी उस समय मिलती है जब ज्यादातर को इसकी जरूरत नहीं होती। बेहतर होता कि इसके बदले उपार्जित अवकाश की सुविधा होती। जब उन्हें छुट्टी की जरूरत होती तो वे लेते, नहीं तो उसका नकदीकरण हो जाता। शिक्षकों को फिलहाल उपार्जित अवकाश की सुविधा नहीं मिलती। छुट्टी की अवधि में भी विभागाध्यक्ष और डीन को सामान्य कामकाज के लिए विभाग में आना होता है। बाकी शिक्षकों में से कई छुट्टी पर रहते हुए विभाग आते रहते हैं, लेकिन वे अन्य कामों से अलग रहते हैं।