उत्तर प्रदेशराज्य

पंचायत सदस्यों के वोटों पर लगने लगी बोली

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :उत्तर प्रदेश के एक बड़े जिले में बहुजन समाज पार्टी के समर्थन से चुनाव जीते तीन जिला पंचायत सदस्य समाजवादी पार्टी के खेमे में नजर आ रहे हैं। सपाइयों का दावा है कि प्रत्येक सदस्य ने 40 लाख रुपये लेकर अपनी निष्ठा बदली है। उधर, दलबदल करने वालों को कहना है कि टिकट लेने और चुनाव जीतने में किए गए खर्च की भरपाई करनी है। इनकी तो चांदी हो गई है। मोटी रकम पाने की चाहत में दलीय निष्ठा बदलने लगे हैं।

       सूत्रों के अनुसार जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव 20 जून तक संभावित हैं।

वोटों की खरीद फरोख्त का यह सिलसिला अमूमन सभी जिलों में जारी है। पांच लाख से लेकर 50 लाख रुपये तक कीमत पहुंच रही है। जहां मुकाबला कड़ा है, वहां वोटों की बोली आसमान छू रही है। नगदी के अलावा लक्जरी गाड़ी का मोलभाव भी होता है। जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुखों के चुनाव में हो रहा विलंब उम्मीदवारों को भारी पड़ता जा रहा है।

त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के परिणाम पिछले महीने पांच-छह मई को घोषित हो चुके हैं, लेकिन अब तक जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुखों के चुनाव की तारीख घोषित नहीं हो सकी है। सूत्रों के अनुसार जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव 20 जून तक संभावित हैं। इसके बाद ब्लाक प्रमुखों के चुनाव जुलाई माह के प्रथम पखवाड़े में कराए जा सकते हैं।

जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव ग्रामीण राजनीति का रुख निर्धारित करने वाला माना जाता है। इसलिए सभी प्रमुख दल इसको गंभीरता से लेते है।

 अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए धनबल और बाहुबल जरूरी है। प्रदेश की 75 जिला पंचायतों में से 65 से अधिक पर अपने जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने का लक्ष्य लेकर मैदान में उतरी भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए विपक्ष खासतौर से समाजवादी पार्टी ताकत लगाए हुए है। चुनाव जीतने का समीकरण बनाने के लिए बाहरी उम्मीदवारों पर दांव लगाने से भी गुरेज नहीं किया जा रहा है।

अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने कहा है कि उनकी पार्टी कुछ सीटों पर जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख के चुनाव भी लड़ेगी।

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