निजीकरण से लगातार बढ़ेंगी बिजली की दरें
स्वतंत्रदेश , लखनऊ:बिजली के निजीकरण के प्रस्ताव पर विरोध जताते हुए राज्य उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग को तुलनात्मक आंकड़ा भेजा है। इसमें बताया है कि निजीकरण के बाद बिजली की दरों में लगातार बढोत्तरी होनी तय है। इससे उपभोक्ताओं पर मार पड़ेगी। परिषद ने निजीकरण के विरोध में याचिका लगाने की तैयारी भी कर ली है।
आयोग को भेजे गए तुलनात्मक आंकड़े में परिषद ने बताया है कि विद्युत वितरण का समानांतर लाइसेंस प्राप्त होने के बाद प्रतिस्पर्धा ही नहीं बढ़ेगी बल्कि बिजली दरों को बढ़ाने का निरंतर प्रयास होगा। क्योंकि महाराष्ट्र में कई निजी घरानों को समानांतर बिजली वितरण का लाइसेंस प्राप्त है, जिसमें टाटा पावर, अदाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई एवं बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई लिमिटेड शामिल हैं।मुंबई में हाल ही में जारी टैरिफ में अदाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लिमिटेड ने घरेलू बिजली की न्यूनतम 100 यूनिट की दर 5.66 रुपये प्रति यूनिट एवं 500 यूनिट से अधिक पर 10.76 रुपया प्रति यूनिट तय किया है। टाटा पावर ने 100 यूनिट पर 4.73 रुपया प्रति यूनिट एवं 500 से अधिक यूनिट की दर 11.63 रुपया प्रति यूनिट तय किया है। अभी तक उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन की कंपनियां में 100 यूनिट तक 3.35 रुपया प्रति यूनिट से लेकर 6.50 रुपया प्रति यूनिट अधिकतम दर तय किया गया है। 500 यूनिट से अधिक पर 6.50 रुपया प्रति यूनिट दर तय की गई है।बिजली कंपनियों की ओर से दिए नए प्रस्ताव में राज्य सेक्टर के बिजली घरों की ओर से औसतन 4.52 रुपया प्रति यूनिट दर तय की गई है। केंद्रीय सेक्टर एनटीपीसी की औसत दर 4.64 रुपया प्रति यूनिट है। वर्ष 2023- 24 में जो 72872 करोड़ की बिजली खरीदी जाएगी, उसकी कुल औसत लागत 5.17 रुपया प्रति यूनिट प्रस्तावित है।उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के अनुसार गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर के जिस क्षेत्र में समानांतर विद्युत वितरण का लाइसेंस निजी घराने को देने की बात है उस क्षेत्र के एक हिस्से पर पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम और दूसरे क्षेत्र में नोएडा पावर कंपनी का कब्जा है। इन दोनों जिलों से पश्चिमांचल को सर्वाधिक राजस्व प्राप्त होता है। वितरण हानियां सबसे कम हैं। ऐसे में यहां के निजीकरण का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।