विश्व आर्थराइटिस दिवस
स्वतंत्रदेश,लखनऊ : भारत में गठिया के शिकार लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। देश की पूरी जनसंख्या में से करीब 15%, यानी लगभग 18 से 20 करोड़ लोग गठिया की चपेट में हैं। अभी तक यह बीमारी ज्यादातर बुजुर्गों में देखी जाती थी, लेकिन बदलते परिवेश में यह बीमारी युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है। रुमेटॉएड आर्थराइटिस 25 से 30 साल के युवाओं में भी बढ़ रही है। इसके मामले पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक देखे जा रहे हैं।
एम्स दिल्ली में रुमेटोलॉजी विभाग की हेड डॉ. उमा कुमार के मुताबिक गठिया कई प्रकार के होते हैं। गठिया बीमारी भी है और कई सारी बीमारियों का लक्षण भी। लेकिन हर जोड़ों का दर्द गठिया नहीं होता। कैंसर में और थॉयराइड जैसी बीमारियों में भी गठिया हो सकती है।
गठिया होने के बाद भी उसको बेअसर किया जा सकता है
डॉ. उमा कहती हैं कि डाइबिटीज के मरीजों की तरह गठिया के मरीज भी सामान्य जिंदगी जी सकते हैं। लेकिन उसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
- जोड़ों में दर्द और शरीर में अकड़न को नजरअंदाज बिलकुल न करें, अगर ऐसा लगातार हो रहा है तो डॉक्टर की सलाह लें।
- अपनी दिनचर्या को नियमित रखना जरूरी है, इसमें गैप खतरनाक हो सकता है। खाने-पीने से लेकर सोने-जगने और एक्सरसाइज समेत सबकुछ नियमित होना चाहिए।
- एक्सरसाइज गठिया से लड़ने के लिए सबसे जरूरी और असरदार हथियार है। नियमित एक्सरसाइज भी बहुत जरूरी है। लेकिन जो कुछ भी एक्सरसाइज हम कर रहे हैं वह डॉक्टर की सलाह पर होनी चाहिए।
-
फलों और सब्जियों को अच्छे से धोकर ही खाना चाहिए
- डॉ. उमा के मुताबिक, अनुवांशिक कारणों से भी गठिया हो सकती है। यानी आपके पहले की पीढ़ी में अगर किसी को इसके लक्षण रहे हों तो, आगे की पीढ़ी में भी इसके असर दिखने की संभावना रहती है। हालांकि बेहतर खान-पान और अनुशासन ही इसकी काट है।
- बार-बार वायरल और बैक्टिरियल इंफेक्शन होना भी गठिया की वजह बन सकता है। हमें वायरल और बैक्टिरियल इंफेक्शन से बचना चाहिए। सब्जियों और फलों में इस्तेमाल होने वाले पेस्टीसाइड भी गठिया के रिस्क फैक्टर में से एक हैं। हमें फलों और सब्जियों को अच्छे से धोकर ही खाना चाहिए।