उत्तर प्रदेशलखनऊ

बिजली हड़ताल पर हाईकोर्ट सख्त

स्वतंत्रदेश , लखनऊ:बिजली कर्मियों की हड़ताल को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट के आदेश पर ट्रेड यूनियन के सभी कर्मचारी नेता सोमवार को कोर्ट में पेश हुए। कार्यवाहक चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस एसडी सिंह की खंडपीठ ने कर्मचारी नेताओं के आचरण की कड़ी निंदा की और कहा कि उन्हें आभास नहीं है कि उनके आंदोलन से प्रदेश की जनता व सरकार को कितना नुकसान हुआ। कोर्ट ने कर्मचारी नेताओं के अधिवक्ता से कहा कि वह बताएं कि नुकसान की भरपाई क्यों न उनके वेतन अथवा उन्हें मिल रहे अन्य सरकारी भत्तों से की जाए।

हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान याचिका पर की सुनवाई

यह आदेश कोर्ट ने स्वतः संज्ञान जनहित याचिका पर अधिवक्ता विभु राय द्वारा दाखिल अर्जी पर पारित किया। अधिवक्ता की ओर से यह अर्जी शुक्रवार को दाखिल की गई थी। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते कर्मचारी हुए नेताओं के खिलाफ वारंट जारी करते हुए उन्हें तलब किया था। कोर्ट ने सोमवार को मामले में तीन दौर में सुनवाई पूरी की और कहा कि वह इस मामले में आदेश पारित करेगी।

हड़ताल से 20 हजार करोड़ रुपए का नुकसान

कोर्ट ने इस मामले में दोबारा 11.30 बजे सुनवाई शुरू की और यूपी सरकार से पूछा कि कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से कितना नुकसान हुआ और सरकार ने क्या वैकल्पिक इंतजाम कर रखा था। सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा कि तीन दिनों की हड़ताल के दौरान 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। सरकार ने पूरी व्यवस्था कर रखी थी। कोर्ट ने कर्मचारी नेताओं के अधिवक्ता से कहा कि वे इस बात का आश्वासन दें कि वे भविष्य में इस तरह का ऐसा कोई आह्वान नहीं करेंगे, जिससे आम जनमानस को परेशानी हो। लेकिन कर्मचारी नेताओं की तरफ से सीधे कोई आश्वासन नहीं दिया गया। तीसरी बार 12.30 बजे सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में सरकार- ने अब तक क्या कार्रवाई की है। बताया गया कि छह सौ कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

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