उत्तर प्रदेशराज्य

विधानसभा में पेश हुए दोषी पुलिसकर्मी

स्वतंत्रदेश ,लखनऊ:यूपी विधानसभा में 58 साल बाद शुक्रवार को अदालत लगी। कटघरे में 6 पुलिसकर्मियों को पेश किया गया। इन सभी पुलिसकर्मियों पर विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना का दोष है। सदन की अदालत की सुनवाई के दौरान अध्यक्ष सतीश महाना ने सभी दलों के नेताओं का पक्ष पूछा। हालांकि, ज्यादातर नेताओं ने अध्यक्ष को निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया। वित्तमंत्री सुरेश खन्ना ने सभी दोषी पुलिसकर्मियों को रात 12 बजे तक यानी एक दिन के सजा का प्रस्ताव दिया।

साल 2004 में पुलिस ने घेरकर विधायक सलिल विश्नोई को लाठियों से पीटा था।

अध्यक्ष ने दोषी पुलिसकर्मियों को अपनी सफाई में बोलने का मौका दिया। इस दौरान दोषी सीओ अब्दुल समद ने सदन से माफी मांगी। कहा कि ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी। इससे पहले अखिलेश से जब सदन के बाहर जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह गलत परंपरा है। दरअसल, यह पूरा मामला 2004 का है। तब सपा की सरकार थी, मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे। कानपुर में प्रदर्शन के दौरान भाजपा विधायक और कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था।

17 साल पहले पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया जा चुका
2004 के मामले में 17 साल पहले इन पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया जा चुका है। आज सजा का ऐलान भी हो सकता है। इससे पहले 1964 में यूपी विधानसभा में कटघरे में सुनवाई की गई थी। साल 2004 में सपा सरकार में बिजली कटौती के विरोध में सतीश महाना कानपुर में धरने पर बैठे थे। इस दौरान बीजेपी के विधायक और कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इसमें तत्कालीन विधानसभा सदस्य सलिल विश्नोई की टांग टूटी थी। वह कई महीनों बेड पर रहे। इसके बाद विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना की सूचना 25 अक्टूबर 2004 को विधानसभा सत्र में रखी गई थी।

मामले में करीब 7 महीने सुनवाई चली
विधानसभा से मिली जानकारी के अनुसार, विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना के मामले में छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ साल 2004 से मई 2005 तक सुनवाई हुई। सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी पुलिसकर्मियों को दोषी पाया गया। लेकिन 2005 के बाद से अभी तक सजा का ऐलान नहीं हुआ।

इन पुलिसकर्मियों की हुई पेशी
सीओ अब्दुल समद के अलावा किदवई नगर के थानाध्यक्ष ऋषिकांत शुक्ला, एसआई थाना कोतवाली त्रिलोकी सिंह, किदवई नगर थाने के सिपाही छोटे सिंह यादव, काकादेव थाने के सिपाही विनोद मिश्र और काकादेव थाने के सिपाही मेहरबान सिंह शामिल हैं। ये सभी कानपुर में उस वक्त शहर के ही विभिन्न थानों में तैनात थे।

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