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पीडब्ल्यूडी के पास पैसे अपार, पर निर्माण की धीमी रफ्तार

स्वतंत्रदेश ,लखनऊ:प्रदेश में सड़कों की स्थिति ठीक न होना परेशानी का सबब बना हुआ है। चालू कामों की धीमी रफ्तार पर पीडब्ल्यूडी विभागाध्यक्ष संदीप कुमार ने  कड़ा एतराज जताया है। उन्होंने मुख्य अभियंताओं को चेतावनी दी है कि अगर बजट सरेंडर हुआ तो इसके लिए वे सीधे जवाबदेह होंगे।

बताया गया है कि सड़कों के चालू कार्यों के लिए प्रदेश सरकार के बजट देने के बावजूद स्थानीय खंडों से पर्याप्त धन की मांग नहीं की जा रही है। जबकि, वित्त वर्ष समाप्ति की ओर है। सड़क संरक्षा, जिलास्तरीय सड़कों और केंद्रीय रोड फंड्स (सीआरएफ) का भी काफी बजट अभी तक बचा हुआ है। विभाग पंडित दीन दयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी योजना के तहत बजट का इस्तेमाल करने में भी पीछे है।

विभाग अध्यक्ष ने अभियंताओं को किया खबरदार

विभाग के 25 जनवरी तक के आंकड़ों के अनुसार, रोड सेफ्टी मद में 200 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। इसमें से अभी तक 56.19 करोड़ ही जारी हुए हैं। राज्य योजना (प्रमुख जिला व अन्य जिला मार्ग) के लिए प्रावधानित 3411.68 करोड़ में से 2128.75 करोड़ का ही आवंटन हुआ है। सीआरएफ के तहत 2800 करोड़ में से 2566.17 करोड़ का बजट अभी बचा हुआ है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय योजना में 42.83 करोड़ और श्यामा प्रसाद मुखर्जी योजना में 15.62 करोड़ का बजट बचा है।पीडब्ल्यूडी विभागाध्यक्ष ने मुख्य अभियंताओं को लिखा है कि जिन कामों को 31 मार्च तक पूरा किया जाना है, उनके लिए अधीनस्थ खंडों से मांग पत्र प्राप्त करते हुए मुख्यालय भेजना सुनिश्चित करें।

देरी के कारण
विभाग के एक अभियंता ने नाम न छापने के अनुरोध के साथ बताते हैं कि ठेकेदारों व स्थानीय अभियंताओं की मिलीभगत के कारण काम लेट होते हैं। कई बार ठेकेदार अपनी प्लांट व मशीनरी की क्षमता से ज्यादा कार्य ले लेते हैं और ठेका देते समय इसकी ठीक से जांच नहीं की जाती कि उनके पास पर्याप्त साधन हैं भी या नहीं। यही देरी का कारण बनते हैं। शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि काम में देरी करने वाले ठेकेदारों पर कार्रवाई हो, लेकिन स्थानीय अभियंता ऐसा नहीं करते।

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