सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब नये सिरे से आरक्षण की प्रक्रिया
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से प्रदेश सरकार को राहत मिल गई है। लेकिन, कोर्ट द्वारा दी गई समय सीमा के भीतर ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया को पूरा करना बड़ी चुनौती होगी। हालांकि सरकार द्वारा गठित आयोग ने काम करना शुरू कर दिया है फिर भी इसके लिए तीन महीने में यह काम पूरा करना मुश्किल होगा।
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद साफ हो गया है कि ओबसी आरक्षण के संबंध में नगर विकास विभाग द्वारा 5 दिसंबर को मेयर और चेयरमैन सीटों के लिए जारी अनंतिम अधिसूचना का अस्तित्व अब समाप्त हो गया है। इसलिए निकाय चुनाव के लिए अब नये सिरे से आरक्षण तय करना होगा और यह काम 31 मार्च तक ही करना होगा। हालांकि आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही सीटों और वार्डों के आरक्षण की प्रक्रिया शुरू हो पाएगी, इसलिए आयोग को अपनी रिपोर्ट तेजी से देनी होगी। वहीं नगर विकास विभाग को भी तेजी से सभी तैयारियां पूरी करने के लिए भी कह दिया गया है।
ओबीसी आरक्षण से संबंधित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाते हुए राज्य सरकार द्वारा गठित आयोग को 31 मार्च तक ओबीसी पर रिपोर्ट देने को कहा है।
अप्रैल में हो सकता है चुनाव
वहीं निर्धारित समय में आयोग की रिपोर्ट आने के बाद शासन को आरक्षण तय करने में 15 से 20 दिन तक का समय लग सकता है। इसके बाद अनंतिम अधिसूचना जारी होगी, जिस पर एक सप्ताह के भीतर आपत्ति और सुझाव मांगे जाएंगे और उसका निस्तारण किया जाएगा। तब अंतिम अधिसूचना जारी हो पाएगी। ऐसे में अप्रैल के अंत तक ही चुनाव संभव है।
उप्र राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (रिटायर्ड) राम अवतार सिंह का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक तय समय सीमा के भीतर पिछड़ों के आरक्षण की रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी। इसके लिए आयोग पूरी ताकत के साथ काम करेगा