Uncategorized

 एक रुपए की पर्ची, 2 हजार का इलाज

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:दोपहर 1 बजे, उन्नाव के हसनगंज का CHC यानी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र। 4-5 मरीज समेत उनके परिवारवाले अस्पताल के बाहर मौजूद एक पेड़ के नीचे बैठे हुए हैं। बात करने पर वो बताते हैं कि अस्पताल के अंदर लाइट की सुविधा नहीं है। गर्मी में पेशेंट को घबराहट हो रही है इसलिए पेड़ के नीचे बैठे हैं।

अस्पताल में मिल रही सुविधाओं का सवाल पूछने पर पसीना पोंछते हुए मरीज बातों-बातों में कह देते हैं, “डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक इतने अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं, एक बार यहां भी आ जाते तो इसके भी हालात ठीक हो जाते।”ये सिर्फ इस अस्पताल की कहानी नहीं है। हम यूपी के 7 ऐसे अस्पतालों के हालात बताने जा रहे हैं, जहां लोग खराब सुविधाओं की वजह से परेशान हैं। 

एक ही बेड पर 2 से 3 बच्चों का इलाज किया जा रहा
हैलट अस्पताल के चिल्ड्रन वार्ड में न पर्याप्त बेड हैं, न ही सुविधाएं। दोनों बच्चों को अलग-अलग बीमारियां हैं फिर भी एक ही बेड पर उनका इलाज किया जा रहा।

पोस्टमॉर्टम के बाद परिवार वाले खुद पैक कर रहे डेडबॉडी
पोस्टमार्टम के बाद वहां मौजूद स्टाफ डेडबॉडी पैक करने के लिए परिवार वालों से एक से डेढ़ हजार रुपए की मांग करते हैं। कई परिवार जिनके पास पैसा नहीं होता, उन्हें खुद ही अपनों की बॉडी पैक करनी पड़ती है।

“जब बाहर से ही दवा खरीदनी है तो सरकारी अस्पताल का क्या फायदा?”
अस्पताल में मौजूद कई परिजनों का कहना है, “डॉक्टर 60 से 70% दवाएं ऐसी लिखते हैं जो अस्पताल की डिस्पेंसरी में नहीं मिलती। हमें बाहर से दवा लानी पड़ती है। कई बार कीमत इतनी ज्यादा होती है कि हम मरीज को वो दवा नहीं दिला पाते। हम दवा बाहर से ही खरीद लेते तो सरकारी अस्पताल में क्यों आते।”

Related Articles

Back to top button