उत्तर प्रदेशराज्य

बच्चो की 500 रुपए के लिए मौत से दोस्ती

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:चित्रकूट मंडल के खनिज अधिकारी सौरभ गुप्ता को सीएम योगी ने अचानक नोटिस देकर सस्पेंड कर दिया। वजह थी बुंदेलखंड में नियमों के खिलाफ हो रहे खनन की लगातार मिल रहीं शिकायतें। योगी के इस एक्शन के बाद हम चित्रकूट की उस माइनिंग रेंज पर पहुंचे, जहां सबसे ज्यादा खनन होता है। यहां पता चला कि इस काम में बच्चे भी शामिल हैं।

चित्रकूट मंडल की पहाड़ियों पर इस हद तक खनन हुआ है कि सतह पर पानी आ गया है।

दरअसल, बुंदेलखंड में 16 साल से कम उम्र के बच्चों को जल्दी काम नहीं मिलता। मिलता भी है तो 200 रुपए प्रतिदिन का, लेकिन पहाड़ों पर खनन कराने वाले ऐसे ही बच्चों को ढूंढते हैं। वो 15 से 18 साल के बच्चों को रोजाना 500 रुपए मजदूरी देकर ग्रेनाइट की खदानों में विस्फोटक लगवा रहे हैं।भरतकूप के पहाड़ों की तलहटी पर गोंडा, भंवरा, नया पुरवा, बजनी और कोरारी गांव हैं। खदानों पर काम करने वाले ज्यादातर मजदूर इन्हीं गांवों के हैं। गोंडा गांव के रहने वाले 16 साल के रिंकू ने माइनिंग का काम पिछले साल शुरू किया। रिंकू ने बताया, “बापू (पिता) खदान में बारूद भरने का काम करते थे। पिछले साल मार्च में सांस की बीमारी से उनकी मौत हो गई। इसके बाद पड़ोस के धर्मपाल चाचा ने हमें यहां काम दिलवा दिया।रिंकू ने बताया, “भरतकूप की पहाड़ियों पर रोजाना 300 से ज्यादा मजदूर खुदाई, बम प्लांटिंग और पत्थरों को स्टोन क्रशिंग प्लांट तक पहुंचाते हैं। सुबह 6 से दोपहर 1 बजे तक पत्थर तोड़ने का काम होता है।”भरतकूप में बजनी रेंज की खदान पर काम करने वाले 18 साल के मजदूर संतोष ने बताया, “हम 3 साल से खदान में तार बिछाने का काम कर रहे हैं। विस्फोट से पहले कैसे सेल लगाना है? किस जगह पर सेल डालने से बड़ा विस्फोट होगा? एक तार से दूसरा तार कैसे जोड़ना है? ये सब हमें ठेकेदार के लोगों ने सिखाया है।”

  • प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइडलाइन के मुताबिक, खदान और क्रशर पर काम करने वाले मजदूरों को काम के निश्चित घंटे, फेस मास्क, चिकित्सा सुविधा और सामाजिक सुरक्षा दी जानी जरूरी है।
  • माइनिंग के किसी भी तरह के काम में नाबालिग को शामिल करना अपराध है। पकड़े जाने पर प्लांट को बंद किए जाने की बात कही गई है।
  • किसी पुरातत्व स्थल के 100 मी. तक खनन वर्जित है। 200 मी. तक खनन व निर्माण कार्य के लिए पुरातत्व विभाग से NOC लेना जरूरी है।
  • रेलवे ट्रैक से 500 मीटर की दूरी पर क्रशर जैसी गतिविधि मान्य है। स्टोन क्रशर से धूल न उड़े इसके लिए लगातार पत्थरों पर पानी का फव्वारा चलना चाहिए।

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