उत्तर प्रदेशलखनऊ

ढांचे में शिवलिंग या फव्वारा?

वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में मिले ढांचे के शिवलिंग होने या फिर इसके फव्वारा होने के दावों का पता लगाने को अध्ययन के लिए आयोग/समिति बनाने की गुजारिश वाली जनहित याचिका शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने खारिज कर दी। केंद्र के वकील ने भी कहा कि याचिका की सुनवाई लखनऊ पीठ में किए जाने लायक नहीं है। वाराणसी व लखनऊ के सात याचियों ने इसे अधिवक्ता अशोक पांडेय के जरिए दायर किया था। याचिका में केंद्र व राज्य सरकार समेत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को पक्षकार बनाया गया था।

ज्ञानवापी मस्जिद में कूप में मिली आकृति। इसे हिंदू पक्ष शिवलिंग और मुसलिम पक्ष फव्वारा कह रही है।

न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने याचिका पर आपत्ति उठाते हुए कहा कि यह मामला वाराणसी का है। यहां सुनवाई लायक नहीं है। याचियों के वकील से कोर्ट ने कहा कि सरकारी वकील की आपत्ति का जवाब दें। हाईकोर्ट ने पूछा वाराणसी के मामले में कैसे निर्देश दिया जा सकता है। याची के वकील ने कहा ऐसी कोई कानूनी रोक नहीं है कि मामला लखनऊ पीठ में नहीं सुना जा सकता।

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