72 घंटे खुले आसमान के नीचे पड़ा रहा महिला का शव, कब्रिस्तान में दफनाने से घुमंतू परिवार को रोका
काशी मोक्ष नगरी है। लेकिन यहां एक ऐसा मामला सामने आया है जो न सिर्फ अंधविश्वास में जकड़े कुछ लोगों की मानसिकता का उजागर करती है, बल्कि संवेदनहीनता और मानवीयता के भेद को भी बखूबी बयान करती है। रोहिनयां थाना क्षेत्र के काशीपुर में एक बंजारा (घुमंतू) परिवार की 90 साल की महिला की तीन दिन पहले मंगलवार को दिन में करीब तीन बजे मौत हो गई थी। लेकिन करीब 72 घंटे के बीत जाने के बाद भी कुछ लोगों ने शव को गांव के कब्रिस्तान में दफनाने नहीं दिया। लोगों ने कहा कि महिला का भूत हमें व गांव वालों को परेशान करेगा। मामला पुलिस तक पहुंचा तो ग्राम प्रधान की मदद से आज महिला के शव दो गज की जमीन मिली है
काशीपुर के प्रधान जर्नादन सिंह के शिवाजी सिंह ने बताया कि, मृतका सदरुल अपने बहन के बेटे उजागीर के साथ गांव के बाग में रहती थी। पास के भट्ठे भी पेट पालने के लिए परिवार मजदूरी करता है। सदरुल की 15 सितंबर को मौत हो गई थी। गांव में कब्रिस्तान नहीं है। इसलिए न्याय पंचायत देउरा में गुरुवार को शव दफनाने गए थे। लेकिन स्थानीय लोगों ने विरोध कर दिया। लोगों ने कहा कि, इनके भूत हमें परेशान करेंगे। इसकी जानकारी सीओ सदर, रोहनिया थानाध्यक्ष और लेखपाल को दी गई।
मृतका का आधारकार्ड भी है। जिस पर मिर्जापुर के आही गांव का पता लिखा है। लेकिन वहां संपर्क करने पर पता चला कि इन्हें कोई जानता नहीं है। कई जगह जब दफनाने की बात नहीं बनी तो सोचा था कि मानवता के नाते बाग में ही दफन कर दूंगा। लेकिन प्रशासन ने ग्रामीणों से वार्ता कर सहमति बना ली है। मोहन सराय गांव में दफन करने के लिए कब्र खोदी गई है। वहीं दफनाया जाएगा। चौकी इंचार्ज मातलदेई अरुण यादव ने बताया बॉडी मोहन सराय में दफनाने को भेज दिया गया है। अब कोई बात नही हैं।
विरोध करने वालों को चिन्हित कर होगी कार्रवाई
एसपी ग्रामीण मार्तण्ड प्रकाश सिंह ने बताया कि मामला संज्ञान में हैं। कल तहसीलदार भी गए थे। जिन्होंने कल अंतिम संस्कार का विरोध किया था, उनको चिन्हित किया जा रहा हैं। कब्रिस्तान किसी का व्यक्तिगत नही होता है। जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।