मुहर्रम पर घरों में मातम, नहीं निकला जुलूस
स्वतंत्रदेश,लखनऊ : कोरोना संक्रमण का असर शुक्रवार को मुहर्रम पर भी नजर आया। हर साल मातम के साथ ताजिया लेकर कर्बला की ओर जातीं टोलिया नदारद थीं। भीड़ के बजाए सड़कों पर सन्नाटा और पुलिस की मौजूदगी शहर के बदले मिजाज की दास्तां बता रही थी। मुस्लिम धर्म गुरुओं की अपील का असर ऐसा दिखा कि लोगों ने घरों में ही ताजिए के आगे मातम किया। वहीं यौम-ए-आशूर जुलूस भी कोरोना संक्रमण की वजह से नहीं निकाला गया। हर साल यह जुलूस विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित नाजिम साहब के इमामबाड़े से निकलता था। जो अपने निर्धारित मार्ग होता हुआ कर्बला तालकटोरा तक जाता था।
जुलूस में शहर की करीब 200 मातमी अंजुमन नौहाख्वानी व सीनाजनी करती हुईं अपने अलम मुबारक के साथ चलती थी। जुलूस में अंजुमनों के संग हजारों अजादार इमाम के गम में आंसू बहाते चलते थे। पर इसबार सरकार की गाइडलाइन का पालन कर शिया समुदाय ने जुलूस को स्थगित कर दिया। घरों में गूंजती या हुसैन की सदाओं के बीच महिलाओं ने मातम कर कर्बला के शहीदों का गम मनाया। दो लोग बारी- बारी से कर्बला में ताजिया लेकर जाते नज़र आए। सुबह से शुरू हुआ सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। गुरुवार को शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद नकवी और इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने भीड़ न करने की अपील की थी। धर्म गुरुओं की अपील को शिया और सुन्नी समुदाय के लोगों ने मानकर तहजीब का नया उदाहरण पेश किया।