अनाथ बच्चे बने मिशाल
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :परिवार का साया सिर पर न होने के बावजूद अपने जज्बे के दम पर अनाथालय में जीवन गुजारने वाले 21 बच्चों ने चेन्नई की मोबाइल रिपेयरिंग कंपनी में नौकरी हासिल की है। इन्हें अपने अपने पैरों पर खड़े होने में महिला कल्याण एवं बाल पुष्टाहार विभाग ने मदद की। विभाग की तरफ से संचालित पश्चात्यवर्ती देखरेख संगठन ने इन बच्चों का कौशल विकास प्रशिक्षण करवाया जिसकी वजह से अब यह बच्चे अपने सपनों को पूरा कर सकेंगे।
महिला कल्याण एवं बाल पुष्टाहार विभाग की मंत्री स्वाति सिंह ने गुरुवार को इन बच्चों की विदाई की। मंत्री ने बताया कि बच्चों को आईसीआईसीआई बैंक की मदद से तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद चेन्नई की कंपनी में इन बच्चों की प्रतिभा को देखकर इन्हें चयनित किया है। उन्होंने बताया कि इन बच्चों ने मोबाइल रिपेयरिंग के क्षेत्र में ट्रेनिंग ली है। इन्हें एक टूलकिट देकर भेजा जा रहा है ताकि भविष्य में किसी तरह की विषम परिस्थिति सामने आने पर यह बच्चे इस टूल किट के माध्यम से अपना खुद का काम शुरू कर सकें।
विभाग की मदद से नौकरी हासिल करने वाले इन बच्चों को अपने परिवार के बारे में कोई जानकारी नहीं है। बच्चों ने बताया की होश संभालने के बाद से वह इसी अनाथालय में रह रहे हैं। उनके माता-पिता कौन हैं ज्यादातर बच्चों को इसकी भी जानकारी नहीं है। बच्चों ने बताया की अपने पैरों पर खड़े होकर अपने सपनों को पूरा करने का लक्ष्य लेकर उन्होंने पढ़ाई की। शुरुआती शिक्षा आने के बाद उन्हें तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया