संसद में अपनी बात रखते मनसुख मंडाविया
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :भाषा एक माध्यम होता है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने विचारों को, किसी भी विषय का ज्ञान, उसकी योग्यता और अपनी समझ को अभिव्यक्त करता है। यह योग्य, विकसित और बौद्धिक कहलाने, समृद्धशाली, अभिजात होने का मानदंड नहीं है, बल्कि भाषा व्यक्ति की अपनी एक विशिष्ट पहचान है। किसी भी राष्ट्र की संस्कृति, परंपरा उसके अतीत की संपदा है जो उसे श्रेष्ठ बनाती है। भाषा न केवल संस्कृति, ज्ञान, परंपरा का संवहन करती है, बल्कि विकास की प्रक्रिया में सहयोग भी करती है।
इसी संदर्भ में यदि भाषा व्यक्ति की बौद्धिकता और उसकी योग्यता पर ही प्रश्न चिन्ह लगाए तो बहुत चिंताजनक और दुखद है। बीते दिनों नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला मंत्रिमंडल विस्तार कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। एक तरफ जहां मंत्रिमंडल का आकार बढ़ा कर नए चेहरों को शामिल किया गया, वहीं सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन का ख्याल रखते हुए अपने क्षेत्रों के विशेषज्ञ जैसे डाक्टर, इंजीनियर, कानून और प्रशासनिक अनुभव रखने वाले सदस्यों को वरीयता दी गई। गौरतलब है कि इन सभी नए सदस्यों में भारत के नए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया के कुछ पुराने ट्वीट को लेकर इंटरनेट मीडिया पर उनकी अंग्रेजी का बहुत मजाक बनाया गया जो दुखद है। भारतवर्ष एक ऐसा राष्ट्र है जहां विविध भाषा, वेश-भूषा, संस्कृति, धर्म को समाहित किए हुए है। विविधता में एकता, इसकी मूल विशेषता के रूप में परिलक्षित होता है।