उत्तर प्रदेशराज्य

केजीएमयू के डाक्टरों ने जगाई उम्मीद

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के डाक्टरों ने तीसरी लहर से पहले इंट्रावीनस इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी (आइवीआइजी) से दर्जनों कोरोना मरीजों को स्वस्थ करके उम्मीद की किरण दिखा दी है। यह शोध द जर्नल आफ इंफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित हुआ है। शोध के मुताबिक आइवीआइजी एंटी वायरल इंजेक्शन को कोरोना संक्रमण को रोकने में अधिक कारगर पाया गया है। केजीएमयू के मेडिसिन विभाग ने 100 मरीजों पर इस थेरेपी को लेकर शोध किया है। इसमें 67 पुरुष व 33 महिला मरीजों को लिया गया, जिनकी उम्र 18 से 80 वर्ष तक थी। इन मरीजों को कोरोना के साथ निमोनिया भी था। डाक्टरों के मुताबिक पहले 50 मरीजों को आइवीआइजी थेरेपी दी गई। दूसरे 50 मरीजों को प्रचलित कोरोना की दवाएं दी गईं। इसके बाद यह देखा गया कि जिन्हें इंट्रावीनस इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी दी गई, वह मरीज गंभीर होने से बच गए। आक्सीजन स्तर भी तेजी से बढ़ा और वह कोरोना निगेटिव हो गए। वेंटिलेटर पर गए मरीज भी ठीक हो गए।

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डाक्टरों ने तीसरी लहर से पहले दर्जनों कोरोना मरीजों को स्वस्थ करके उम्मीद की किरण दिखा दी है

केजीएमयू के चिकित्सा अधीक्षक डा. डी हिमांशु ने बताया कि मायस्थेनिया व मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रेन (एमआइएस-सी) जैसी तमाम क्रोनिक बीमारियों के इलाज में आइवीआइजी थेरेपी का पहले भी इस्तेमाल होता रहा है। इंट्रावीनस इम्युनोग्लोबुलिन इंजेक्शन को नसों के जरिये मरीज के शरीर में प्रवेश कराया जाता है। इसलिए इंजेक्शन देने की पूरी प्रक्रिया को इंट्रावीनस इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी कहते हैं। इसे कोरोना मरीजों के इलाज में कारगर पाया गया है। इसका कोई बड़ा दुष्प्रभाव भी नहीं मिला। इसे देने से कोरोना मरीजों में बुखार कम होने के साथ आक्सीजन के स्तर में भी तेजी से सुधार देखने को मिला। सांस की तकलीफ कम हुई। ज्यादातर मरीजों को वेंटिलेटर पर जाने की नौबत नहीं आई। जो वेंटिलेटर पर गए भी, वह बेहद कम समय में ही ठीक हो गए। मरीजों की कोरोना रिपोर्ट भी निगेटिव आ गई।

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