किसान पंचायत में अखिलेश ने साधा निशाना
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :मथुरा के बाजाना में चल रही गठबंधन की किसान पंचायत को संबोधित करते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव बोले कि कोइ घबराया हो या नहीं लेकिन भाजपा जरूर घबरा रही है। काला कानून जब तक वापस नहीं होगा, लड़ाइ चलती रहेगी। हम और जयंत जानते हैं कि लाठी कहां चलानी है। चौधरी चरण सिंह से बड़ा किसान नेता कोइ नहीं हुआ। किसान तभी खुशहाल होगा जब उसकी बात करने वाले सदन में होंगे। काला धन वापस नहीं आया। जीएसटी लागू होने के बाद कौन सा कारोबार बढ़ गया।
रालोद उपाध्यक्ष बोले कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव के कंधाें पर देश की बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि ये चौधराहट का मंच है। 2009 में इसी भूमि से भूमि अधिग्रहण कानून बदलने का काम शुरू हुआाथा। भाजपा के घमंड को तोड़ना है। जहां उनको लठ की चोट देनी है। ये वोट की चोट है। ये मंच वोट की चोट कैसे करनी है, इसके लिए ही ये मंच साझा किया है। मतदान के दनि अपने मुद्दे को जेहन में रखें। जाति को न खाेजें। अखिलशे मथुरा से चुनाव लड़ें और मैं गाजीपुर से चुनाव लड़ें। हम निकल पड़े हैं। पटलौनी की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा में घमंड भर गया है। ये गद्दी समाज ने दी है। योगी सुन लें, गाय को टोकरी खिलाते नजर आते हैं। जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे तो उनके पास फुर्सत नहीं थी। किसानों को मजबूत होना पड़ेगा। चार साल पूरे हो गए। एक सप्ताह का जश्न होने जा रहा है। अरबाें खरबों रुपये खर्च किये जा रहे हैं। 114 दिन किसान आंदोलन को हो गए हैं। साक्षी महाराज किसानों को आतंकवादी कह रहे हैं। जो पीएम की मित्र मंडली में शामिल हैं। 300 किसान शहीद हो गए हैं। प्रधानमंत्री संवेदना भी प्रकट नहीं कर रहे हैं। हर जगह पीएम की तस्वीर आ रही है। टीका के प्रमाणपत्र पर भी मोदी की तस्वीर आ रही है। इस पंचायत के असली पंच किसान ही हैं। इस एकता को खंडित मत होने देना। भाजपा खुराफाती पार्टी है।
रालोद उपाध्यक्ष से पहले सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामजीलाल सुमन ने कहा कि अब अखिलेश यादव अब मुख्यमंत्री पद के नेता नही है। उनकी हैसियत मुख्यमंत्री बनाने और बिगड़े की है। उनका इशारा प्रधानमंत्री के पद के लिए है। इस देश की आज हालात खराब है। राजनीति का सबंध धर्म और जाति से नही है। चौधरी चरण सिंह तो सभी के नेता थे। वे किसानों के नेता थे। मुख्यमंत्री योगी जी अखिलेश यादव से क्या तुलना करते हो। योगी तो नौकरी कर रहे है। जब वह मुख्यमंत्री के पद से हट जाएंगे। कोई किराये पर नमस्कार करने वाला नही रहेगा। पर जिस गली अखिलेश यादव गुजरेंगे। वहां अखिलेश भैया को नमस्कार करने वालो को लंबी कतार होगी।
बता दें कि शुक्रवार दोपहर गठबंधन की किसान पंचायता को संबोधित करने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ट्रेकर पर सवार होकर बाजना, मथुरा स्थित मौरकी इंटर कालेज के मैदान पर पहुंचे थे। दोनों नेताओं को सुनने के लिए मैदान खचाखच भरा हुआ है। इससे पूर्व सपा प्रमुख ने गोवर्धन में दानघाटी और बरसाना में लाड़ली जी के मंदिर में पूजा अर्चना की। अखिलेश यादव बरसाना में राधारानी के दर्शन करने के लिए 300 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचे थे। वहीं गुरुवार को मथुरा में चल रहे समाजवादी पार्टी के दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर को अखिलेश यादव ने संबोधित किया था। इसके बाद बांके बिहारी मंदिर में दर्शन करने पहुंचे थे।