37 वर्ष से एक फाइल के लिए भटक रहे 71 वर्षीय बुजुर्ग
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:मेरे शरीर में अब ताकत नहीं बची है। कोई नहीं सुनता, इनसे मिल लो, उस अफसर से मिल लो, उनको प्रार्थना पत्र दे दो। यह सिलसिला 37 साल से चल रहा है। मेरी उम्र भी 71 वर्ष की हो गई है। छह साल पहले हार्ट अटैक पड़ा, फिर बीमारियों से घिरता चला गया। आज शरीर के कुछ अंग बेहतर तरीके से काम नहीं करते। बोलने व चलने में तकलीफ है। परिवार के सदस्य भी अलीगंज स्थित भूखंड की फाइल खोजवाने के लिए प्राधिकरण गए, लेकिन लविप्रा में संबंधित बाबू एक ही रटा रटाया जवाब देते हैं कि फाइल खो गई है। अब इसमें मेरा क्या दोष है? यह हाल हुसैनगंज में रहने वाले सेंट्रल बैंक से सेवानिवृत्त विजय टंडन का है। टंडन ने डीएम व लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश से फाइल खोजवाने और न मिलने पर डुप्लीकेट फाइल खोलने का आग्रह किया है।
बैंक से रिटायर होने से पहले मैंने अलीगंज के सेक्टर-ई स्थित सी-84 भूखंड आवंटित कराया था। सोचा था बैंक की नौकरी से एक मकान हो जाएगा, लेकिन आज तक उस मकान का सुख नहीं भोग पाया। पड़ोसी भूखंड में कूड़ा डालते हैं, गंदगी का अंबार लगा है। पड़ोसी भी बीच-बीच में बनवाने के लिए ताने देते हैं। 2100 वर्ग मीटर के भूखंड को बचाने के लिए बाउंड्रीवाल करवाई और गेट लगवा दिया है, उसे भी लोग गिरा दे रहे हैं। नक्शा बनवाने के लिए जब प्राधिकरण गया तो पूर्व मुख्य नगर नियोजक ने फ्री होल्ड करवाने की बात कही। फ्री होल्ड का पैसा भी जमा कर दिया। इसके बाद भी नक्शा विभाग, योजना देख रहे बाबू और मुख्य नगर नियोजन के यहां चक्कर लगवाया जा रहा है। सही बात कोई बताने वाला नहीं। लगता है कि मेरे जीवन में मकान का सुख नहीं लिखा, क्योंकि जब नक्शा पास नहीं होगा तो मकान नहीं बन पाएगा और फाइल विभाग के पास है नहीं। अब बाबू दबाव बनाते हैं कि फ्री होल्ड चार्ज अगर जमा है तो फिर जमा करना होगा, यह कहां का इंसाफ है। मैंने दो बार फ्री होल्ड चार्ज जमा किया और दोनों की रसीदें मेरे पास मौजूद हैं।