अचानक क्यों बढ़ा अपराध का ग्राफ
स्वतंत्रदेश लखनऊ :पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू हुई थी तो लोगों को ऐसा लगा कि अपराध पर नकेल लगेगी। कम से कम प्रदेश की राजधानी में डकैती की घटनाओं पर नियंत्रण किया जा सकेगा। पिछले कुछ दिनों में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। डकैती और लूट की घटनाओं ने लखनऊ कमिश्नरेट पर सवाल खड़े कर दिए हैं। खास बात यह है कि उच्चाधिकारी घटनाओं के राजफाश पर जोर देने के बजाय उसे छिपाने में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
अलीगंज सेक्टर बी में दवा कारोबारी दिनेश चंद्र अग्रवाल के घर में बुधवार रात में पड़ी डकैती इसका ताजा उदाहरण है। सीसी फुटेज में चार से अधिक बदमाश नजर आ रहे थे। बावजूद इसके पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर ने इसे डकैती की बजाय लूट होने की बात कही। वारदात के बाद से बदमाश फरार हैं। गुरुवार को पुलिस आयुक्त पीडि़त परिवार से मिलने पहुंचे। पुलिस टीम को नामजद नौकर व उसके साथियों की तलाश में रवाना किया गया है। एक टीम सीतापुर में दबिश दे रही है, लेकिन अभी तक बदमाशों को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।
फुटेज के सहारे छान रहे खाक
रवींद्र पल्ली में बाइक सवार बदमाशों ने दो मार्च को कूरियर कंपनी के कर्मचारियों को बंधक बनाकर डकैती डाली। असलहाधारी बदमाश सीसी फुटेज में मारपीट करते कैद नजर आए थे। पुलिस सीसी फुटेज के जरिए बदमाशों की तलाश में जुटी थी, लेकिन अभी तक उनको पकड़ नहीं सकी। बदमाश चार लाख 35 हजार रुपये लूट ले गए थे।
आशियाना में गत आठ मार्च को नाथ ज्वैलर्स के मालिक दीपक रस्तोगी और उनके बेटे अर्णव को बंधक बनाकर बदमाशों ने लूटपाट की। बदमाश 15 किलो चांदी और आधा किलो सोना लूटकर ले गए। दिनदहाड़े हुई इस घटना ने कमिश्नरेट प्रणाली में तैनात पुलिसकर्मियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए थे। पूरी वारदात सीसी कैमरे में कैद हो गई। चार दिन बीत गए, लेकिन अभी तक लूटेरे नहीं पकड़े जा सके।