उत्तर प्रदेशराज्य

वन विभाग पर लखनऊ विश्‍व‍विद्यालय ने शुरू किया काम

स्वतंत्रदेश,लखनऊ : अब जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) मैपिंग के जरिए सारस और गिद्ध की गणना करना आसान हो जाएगा। यह पता चल सकेगा कि उत्तर प्रदेश के किस जिले, क्षेत्र और भूमि पर सबसे ज्यादा सारस और गिद्ध पाए जाते हैं। इसके लिए वन विभाग की ओर से दिए गए प्रोजेक्ट पर लखनऊ विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग काम कर रहा है।

अब जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) मैपिंग के जरिए सारस और गिद्ध की गणना करना आसान हो जाएगा।

सारस और गिद्ध की जनगणना के लिए वर्ष 2019 में वन विभाग ने लविवि के जीव विज्ञान विभाग को एक प्रोजेक्ट दिया था। तीन साल के इस प्रोजेक्ट में उत्तर प्रदेश में सारस और गिद्ध की स्थिति, संख्या सहित कई चीजों पर शोध करने की कार्ययोजना बनाई गई। विभाग की प्रोफेसर अमिता कन्नौजिया ने बताया कि सबसे पहले सारस की पहचान के लिए वन विभाग के गार्डों को ट्रेनिंग दी, जिसमें सारस से जुड़ी तमाम जानकारियां दीं।

झील या कृषि भूमि के पास हैं सारस, बताएगा मैप

75 जिलों का डाटा आने के बाद उसे जीआइएस (ज्योग्राफिकल इंफार्मेशन सिस्टम) मैपिंग से जोड़ेंगे। फिर जीपीएस रीडिंग के जरिए मैप पर लेकर आएंगे। इस डाटा से बेस लाइन मैप बन जाएगा।

घट गई गिद्ध की संख्या

भारत में गिद्ध की नौ प्रजातियां पाई जाती हैं। प्रो. अमिता कन्नौजिया ने बताया कि वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2011 में हुई जनगणना में 2080 गिद्ध थे।

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