पहले ही दिन से कड़ी मेहनत का संकल्प लेकर बने टॉपर
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में टॉपर बनना आसान नहीं है। इसका राज कड़ी मेहनत है। हॉस्टल, लाइब्रेरी में घंटों पढ़ाई। शाम को वार्ड में ड्यूटी, सुबह फिर क्लास। बीच-बीच में वक्त निकालकर मोबाइल पर मेडिकल से जुड़े टॉपिक सर्च कर खुद को अपडेट करते रहना। इसके साथ ही परीक्षा की घोषणा होते ही 12 से 14 घंटे तक पढ़ाई में जुटे रहे।
बचपन का सपना हुआ साकार
एमबीबीएस में ऑल ओवर टॉपर आलमबाग निवासी नितिन भारती रहे। उन्होंने एमबीबीएस के सभी प्रोफेशनल एक्जाम में सर्वोच्च अंक हासिल किए। उन्हें संस्थान के सर्वोच्च मेडल हीवेट, चांसलर, यूनीवर्सिटी ऑनर्स, समेत 11 गोल्ड मेडल, एक सिल्वर मेडल मिला। नितिन ने एससी कटेगरी के छात्रों में भी सर्वोच्च अंक रहे। ऐसे में उन्हें डॉ. आरएमएल मेहरोत्रा गोल्ड मेडल भी दिया गया। इसके अलावा एक सर्टीफिकेट अवॉर्ड व चार बुक प्राइज अवॉर्ड मिलाकर कुल 17 अवॉर्ड नितिन को मिले। उन्होंने 10वीं-12वीं सीबीएसई बोर्ड से किया है। नितिन ने बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना पाल लिया था। एमबीबीएस में दाखिला मिला तो हॉस्टल में ही रहने का फैसला किया और पहले दिन से ही कड़ी मेहनत का संकल्प ले लिया। क्लास, लैब, लाइब्रेरी में ज्यादातर वक्त गुजरा। शिक्षकों के लेक्चर मन के साथ ज्वॉइन किए। नोट्स बनाकर लगातार रिवीजन करते रहे। इस दौरान टीवी कभी-कभार घर जाने या फिर कैंटीन में खाना खाते वक्त ही दिखने को मिला। शाम को वार्ड में ड्यूटी के दौरान मरीजों के क्लीनिकल वर्क पर फोकस किया। मोबाइल पर ऑनलाइन पर टॉपिक व प्रोसीजर देखकर खुद को अपडेट किया। कारण, किताब में तो टॉपिक अपडेट होते नहीं, ऐसे में मोबाइल का सहारा पढ़ाई के लिए लेना पढ़ा। मगर, सोशल मीडिया, गेम में बेवजह समय जाया नहीं किया। परीक्षा के वक्त 12 से 14 घंटे तक पढ़ाई की।
मोबाइल का अधिकतम उपयोग पढ़ाई के लिए किया : बीडीएस में टॉपर
गोरखपुर के बख्शीपुर निवासी अंजलि मल्ल ने बीडीएस में टॉप किया है। अंजिल मल्ल ने एचडी गुप्ता गोल्ड मेडल, डॉ. गोविला गोल्ड मेडल, डॉ. संतोष जैन गोल्ड मेडल, वेदवती गोल्ड मेडल समेत सात गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाकर टॉप किया। वह बताती हैं कि हॉस्टल में रहकर पढ़ाई की। ऐसे में टीवी की सुविधा नहीं थी। वहीं, मोबाइल का अधिकतम उपयोग पढ़ाई के लिए किया। कभी-कभार सोशल मीडिया और घरवालों से बात करने के लिए मोबाइल का इस्तेमाल किया। क्लास के अलावा करीब पांच से छह घंटे पढ़ाई की। कोविड काल में ऑनलाइन पढ़ाई की। अंजलि के मुताबिक, थ्योरी व क्लीनिकल वर्क दोनों पर फोकस करना पड़ता है।