गंगा की निगहबानी करेगा NSI Kanpur
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :अपनी तकनीक और शोध कार्याें के दम पर चीनी मिल और फैक्ट्रियों की आय में मुनाफे की मिठास घोलने वाला राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) अब पतित पावनी की निगहबानी करेगा। उसके जल की निर्मलता के लिए न सिर्फ काम करेगा, बल्कि उसकी शुचिता बरकरार रखने में अपनी जिम्मेदारी निभाएगा।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से संस्थान को गंगा किनारे की 50 से अधिक चीनी मिलों और शराब फैक्ट्रियों का जिम्मा सौंपा गया है। यहां के विशेषज्ञ उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड से लेकर पश्चिम बंगाल तक नजर रखेंगे। यह व्यवस्था एनएसआइ की ओर से इसी वर्ष की शुरुआत में मॉडल वॉटर मैनेजमेंट सिस्टम के मॉडल की कार्य प्रणाली को देखने के बाद की गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अधिकारियों ने मॉडल की खूबियों को देखा और उसे गंगा किनारे की इकाईयों में लगाने के लिए फाइनल किया।
गन्ने से निकला पानी होता दोबारा इस्तेमाल
एनएसआइ के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि करीब चीनी और डिस्टलरीज के उत्पादन में काफी मात्रा में पानी बेकार होता है। गन्ने में 70 फीसद पानी रहता है, जिसका कोई उपयोग नहीं होता है। संस्थान के विशेषज्ञों ने इसको शोधित करने के लिए मॉडल विकसित किया। इसमें उन्होंने पानी को शोधित करके दोबारा से चीनी उत्पादन और सिंचाई के काम में व्यवस्थित किया है। इसी मॉडल को गंगा किनारे की 52 इकाईयों में स्थापित किया जा रहा है। यहां की मॉनीटरिंग संस्थान की ओर से की जाएगी।