बराबरी के संदेश से सजीं नए हाईकोर्ट की दीवारें
स्वतंत्रदेश ,लखनऊ :मर्जी बिना शादी नहीं…, बराबरी जरूरी है…, बराबरी जिंदाबाद…, बनो नई सोच…कुछ ऐसे ही समाज में समानता के संदेशों से दीवारें सजी हैं। संदेश के साथ ही दीवारों पर सुंदर चित्र भी बनाए गए हैं। जो भी यहां से गुजरता है, वो कुछ पल ठहरकर युवाओं की इस सोच को समय जरूर देता है। बनो नई सोच के “स्त्री पक्ष” नाम से 16 दिवसीय अभियान चल रहा, जिसके तहत लखनऊ विश्वविद्यालय और आर्ट्स कॉलेज के विद्यार्थियों का समूह नए हाईकोर्ट के पास वाली जगहों की दीवारों पर खूबसूरत पेंटिंग्स बना रहा। युवाओं की टीम पेंटिंग्स बनाने के साथ ही लोगों को जागरूकता संबंधी पर्चे भी बांट रही।
दरअसल, स्त्री पक्ष कार्यक्रम के तहत 25 नवंबर यानी महिला हिंसा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस से ही “बोल” नामक पोस्टर-फोटो-कविता प्रदर्शनी शीरोज कैफे में चलाई जा रही है। इसके साथ ही उसी जगह पर युवाओं और आगंतुकों के साथ हस्ताक्षर अभियान, संवाद,ओपेन माइक, फिल्म स्क्रीनिंग जैसी कई गतिविधियों के जरिए लैंगिक बराबरी और महिला सशक्तिकरण के मुद्दे को भी उठाया जा रहा है। ऑक्सफैम इंडिया, दस्तक, शीरोज द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान का उद्देश्य लड़कियों की जिंदगी को बेहतर दिशा देना है। आयोजक मंडल की ओर से उपासना त्रिपाठी ने बताया कि 10 दिसंबर यानी मानवाधिकार दिवस तक बोल प्रदर्शनी और इस तरह की रचनात्मक गतिविधियां चलती रहेंगी।
किताबों की दुनिया से बाहर का अनुभव
कलाकारों के दल में शामिल शिवानिका, प्रज्ञा पाल, हामना, बरीजा, प्रियांशी, अंशय, विवेक और वीना ने बताया कि बराबरी जैसे सामाजिक मुद्दों पर किताबों की दुनिया से बाहर आकर असल जिंदगी और कैनवास पर पेंटिंग करने का मजा और अनुभव बिल्कुल अलग है।