गंगा सफाई पर NGT की चिंता, यूपी में नदियों को नाला बताने पर जताई नाराजगी
स्वतंत्रदेश ,लखनऊराष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गंगा प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों से संबंधित आधिकारिक रिकार्ड में उत्तर प्रदेश की कई नदियों को नाले के रूप में वर्गीकृत करने पर चिंता व्यक्त की है।गंगा की सफाई, पुनर्जीवन से जुड़े लंबे समय से विचाराधीन पर्यावरणीय मामले की सुनवाई के दौरान, अधिकरण ने प्राकृतिक नदियों को नाले के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत करने की प्रवृत्ति पर असंतोष व्यक्त करते हुए चेताया कि ऐसी प्रवृत्ति के दीर्घकालिक पर्यावरणीय दुष्परिणाम हो सकते हैं। इस मामले की सुनवाई अधिकरण की प्रधान पीठ ने की जिसमें न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव (अध्यक्ष), न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल, और डा. ए. सेंथिल वेल शामिल थे।

पीठ के समक्ष प्रस्तुत आंकड़ों में दिखाया गया कि कई जल निकाय, जिन्हें पारंपरिक रूप से नदियों के रूप में मान्यता प्राप्त थी, सरकारी रिपोर्टों में अनटैप्ड नालों के रूप में सूचीबद्ध किए गए थे। बता दें कि इनमें अमरोहा की छोइया (बाहा) नदी, हरदोई की छुईया नदी और हापुड़ की काली पूर्व नदी शामिल थीं।इन सभी को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में शोधित किए बिना पर्यावरण में अनुपचारित सीवेज डालते हुए दिखाया गया है। छोइया नदी के मामले में, रिपोर्टों में कहा गया कि यह बारिश के मौसम में गंगा में बहती है, लेकिन इसे अभी तक टैप नहीं किया गया है। न ही यह किसी एसटीपी से जुड़ा है और न ही ऐसा कोई प्रस्ताव है।
इसी तरह, 28 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) से अधिक का डिस्चार्ज करने वाली हरदोई की छुईया नदी को अनटैप्ड नाले के रूप में दर्ज किया गया था, जिसके सीवेज शोधन के लिए न कोई भूमि आवंटित है और न ही कोई धनराशि स्वीकृत की गई है।
हापुड़ की काली पूर्व नदी को भी दस्तावेजों में नाले के रूप में वर्गीकृत किया गया जबकि इसका सीवेज लोड उल्लेखनीय है।