वायरल हैशटैग ने खड़े किए यूपी सरकार पर बड़े सवाल
स्वतंत्रदेश,लखनऊप्रदेश में कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के पेयरिंग (विलय) के खिलाफ रविवार को ‘मधुशाला नहीं पाठशाला दो’ हैशटैग के साथ एक्स (ट्विटर) पर डिजिटल आंदोलन चला।शिक्षकों, शिक्षामित्रों, डीएलएड प्रशिक्षुओं और अभिभावकों ने इसमें हिस्सा लिया, जिससे यह ट्रेंड देश में नंबर-एक पर पहुंच गया। अभियान में लोगों ने वीडियो और तस्वीरों के माध्यम से अपनी पीड़ा साझा की।रसोइयों के आंसू, बच्चों की शिक्षण व्यवस्था और महिलाओं की भावनात्मक अपीलों ने आंदोलन को भावनात्मक बल दिया। पोस्ट में स्कूलों की संख्या घटाने के निर्णय, शिक्षकों की कमी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव पर सवाल उठाए गए।

शिक्षक नेता सुशील पांडे ने कहा कि यह आदेश बच्चों की शिक्षा और लाखों प्रशिक्षुओं के भविष्य के लिए खतरनाक है। अटेवा प्रमुख विजय बंधु ने पूछा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का क्या होगा जब गांवों में स्कूल ही नहीं रहेंगे?डीएलएड नेता रजत सिंह ने कहा कि विरोध करने पर उन्हें जेल भेजा गया, लेकिन लोगों में संघर्ष की चिंगारी जल चुकी है। वहीं, नितेश पांडे ने कहा कि सरकार की नीतियों ने बीटीसी-बीएड धारकों को डिग्री जलाने की कगार पर ला दिया है। कुछ ने लिखा कि यह कैसा रामराज्य है जहां 27 हजार स्कूलों को बंद कर 27 हजार मधुशाला खोलने का लाइसेंस दिया जा रहा है।