उत्तर प्रदेशराज्य

 परिवहन विभाग का हाल… पांच मिनट में हो जाती है फिटनेस की जांच

स्वतंत्रदेश,लखनऊचेसिस नंबर का मिलान कर वाहन के पेपर का सत्यापन, स्टेयरिंग के नीचे की फर्श और वाहन के बाहर की फोटो, बिना जलाए हेड लाइट की जांच, परिवहन विभाग में वाहनों की फिटनेस जांचने का कुछ यही तरीका है। जिसे पांच मिनट से भी कम समय मेंं पूरा कर लिया जाता है।न तो कोई जिम्मेदार मौके पर होता है और न ही फिटनेस जांचने में वाहनों के मानक परखे जाते हैं। जबकि आरटीओ कार्यालय में रोजाना करीब 65 हल्के और भारी वाहनों का फिटनेस होता है। ट्रांसपोर्ट नगर स्थित परिवहन कार्यालय के मेन गेट के बाहर हल्के वाहनों को फिटनेस की जांच के लिए खड़ा किया जाता है।वाहनों की जांच करने का काम परिवहन विभाग के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी करते हैं। वह वाहनों की चेसिस नंबर, शीशे आदि को देखते हैं। इसके बाद वाहनों का फोटो खींचकर मैनुअल तरीके से फिटनेस बनाया जाता है। 

वाहनों का फिटनेस आरआई को करना होता है। बावजूद इसके नियमों को ताक पर रखकर आरआई के स्थान पर वाहनों के फिटनेस की जांच प्राइवेट कर्मचारी कर देते हैं। वाहनों का फिटनेस मिनटों में हो जाता है। यह समस्या आए दिन की है। 

तय फीस से अधिक की होती है वसूली
परिवहन विभाग के कार्यालय में हर दिन करीब 65 हल्के और भारी वाहन फिटनेस के लिए आते हैं। लोगों ने बताया कि फिटनेस के लिए आने वाले ज्यादातर वाहन एजेंट के माध्यम से पहुंचते हैं। जिसके लिए वह तय फीस से अधिक रुपये वसूलते हैं। यहां पर किसी को कोई चिंता नहीं रहती है। कोई भी वाहन लेकर आए और किसी एजेंट के जरिए मिनटों में फिटनेस करा ले।

पार्किंग का देना पड़ता है 100 रुपये तक शुल्क
वाहनों को खड़े करने के लिए मुख्य गेट के बगल में पार्किंग है। जहां पर बाइक के 30 रुपये, ऑटो और कार के 50 रुपये और डीसीएम, जेसीबी खड़े करने के लिए 100 रुपये का शुल्क लिया जाता है। रमेश, प्रवीन, और इमरान आदि वाहन मालिकों ने बताया कि परिवहन कार्यालय होने के बावजूद फिटनेस कराने आए वाहनों को खड़ा करने के लिए जगह नहीं है। यहां पर पार्किंग के लिए भी शुल्क देनी पड़ती है। 

फिटनेस रैंप पर पड़ा कूड़ा कर्मियों के खड़े होते हैं वाहन
वाहनों की फिटनेस जांच करने के लिए आरटीओ दफ्तर में फिटनेस रैंप बना हुआ है। लेकिन वाहन रैंप पर खड़े नहीं किए जाते हैं। यहां कर्मचारियोंं के वाहन खड़े होते हैं। फिटनेस रैंप पर कूड़ा पड़ा हुआ है। यहीं पर वाहनों की फिटनेस मैनुअल तरीके से की जाती है।

फिटनेस जांच के लिए ये हैं नियम 
हल्के, भारी समेत अन्य वाहनों की फिटनेस जांच के दौरान कमानी, सॉकर, इंडीकेटर, लाइट, वाहन का फर्श, ब्रेक, क्लच, स्पीड लिमिट डिवाइस आदि की जांच होती है। ये जांच आरआई को करनी होती है। साथ ही रेट्रो रिफ्लेक्टिव (चमकीला) टेप की जांच की जाती है। स्पीड लिमिट डिवाइस आदि की जांच की जाती है। एक्सपर्ट के मुताबिक कॉमर्शियल वाहनों को मैनुअल तरीके से जांच करने में 15 से 20 मिनट का समय लगता है।

स्कूल बसों की फिटनेस के ये हैं नियम 
स्कूल बसों की फिटनेस के दौरान व्हीकल लोकेशन और ट्रैकिंग डिवाइस की जांच होती है। बसों में शीशे, ब्रेक, क्लच, लाइट आदि के अलावा शीट बेल्ट और पैनिक बटन की जांच की जाती है। चालक और परिचालक पुलिस वेरिफिकेशन भी कराई जाती है। बसों में ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड (एआईएस-140) के अनुरूप रेट्रो रिफ्लेक्टिव (चमकीला) टेप लगा होना चाहिए।

हमारे यहां कोई भी प्राइवेट कर्मचारी वाहनों की फिटनेस की जांच नहीं करता है। वाहनों की फिटनेस की जांच आरआई के द्वारा ही की जाती है। निर्धारित शर्तों का कड़ाई से पालन किया जाता है। 

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