गोल रोटी बनाना ही नहीं, हमे सिखाए हमारे अधिकार
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:घरों में माता-पिता की हम सेवा तो सीमा पर देश की सुरक्षा भी करती हैं। बस हमें कमजोर समझ लिया जाता है और हम यह मान भी लेते हैं। यही से हमारा शोषण शुरू हो जाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। हमे पढ़ता भी आता है और अधिकारों के प्रति हम लड़ना भी जानते हैं। परिषदीय विद्यालयों के मीना मंच की बेटियों के यह शब्द उनकी शक्ति का अहसास करा रहे हैं। उनका कहना है कि हमे गोल रोटी बनाना ही न सिखाकर हमारे अधिकार भी सिखाए जाएं।
सुरसा विकास खंड के उच्च प्राथमिक विद्यालय बरहा में कक्षा आठ की छात्रा अनुराधा यादव कहती है कि लड़कियों को जिस दिन अपने भावों को व्यक्त करना आ जाएगा, उन्हें बोलना आ जाएगा। तब वह समझ जाएंगी कि अब उन्हें खुल कर आगे आना पड़ेगा, जो भी अत्याचार उनके खिलाफ हो रहे हैं , उनके खिलाफ उन्हें लड़ना आ जाएगा। छात्रा वर्षा का कहना है कि माता-पिता को लड़कियों को शिक्षा के गुणों और लाभों के बारे में शिक्षित करने की बहुत जरूरत है। बावन विकास खंड के गुलामऊ की छात्रा खुशबू कहती है कि शिक्षा हम सभी का हथियार है। लिग भेदभाव के कारण लड़कियों को विद्यालय नहीं भेजा जाता है। जिससे महिलाएं आगे नहीं बढ़ पाती है और वह घर तक ही सिमट कर रह जाती है। जब घर की महिला शिक्षित होगी। तभी वो अपने अधिकारों को अच्छे से पहचान पाएगी छात्रा वंदना का कहना है कि कि हमे गोल रोटी बनाना ही न सिखाया जाए बल्कि हमे अपने अधिकारों को भी समझाया जाए। हमे यह बताया जाए कि उठाकर देखने वालों को कैसे सबक सिखाएं।