स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में अफसरों की मनमानी
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :वैसे तो सरकारी योजनाओं में जनप्रतिनिधियों की भागीदारी होती है। ऐसा इसलिए कि योजनाओं में जनता की आवाज भी शामिल हो सके लेकिन स्मार्ट सिटी परियोजना में जनप्रतिनिधियों की आवाज को ही शांत कर दिया गया है। मनमानी तरह से हो रहे कार्यों को लेकर जनता जनप्रतिनिधियों पर सवाल दाग रही है। अब यह दर्द स्मार्ट सिटी क्षेत्रों से जुड़े जनप्रतिनिधि झेल रहे हैं। विकास से जुड़े कार्यों के सारे निर्णय स्मार्ट सिटी निदेशक मंडल ही लेता है और इसमे जनप्रतिनिधियों की नुमाइंदगी नहीं है। हजरतगंज में गलत तरह से ऊंचा डिवाइडर बनाने और हजरतगंज से लेकर कैसरबाग इलाके में पड़ रही सीवर लाइन का दर्द हर कोई झेल रहा है। खोदाई के बाद सड़कों को न बनाए जाने से जनता के सवालों को लेकर मध्य विधान सभा क्षेत्र से विधायक और विधायी व कानून मंत्री ब्रजेश पाठक तक को जलनिगम के अधिकारियों को फटकार तक लगानी पड़ी लेकिन उसका कोई असर नहीं दिख रहा है।

अब हजरतगंज का ही मामला ले लिया जाए। यहां स्मार्ट सिटी बोर्ड ने डिवाइडर बनाने का निर्णय ले लिया, लेकिन जनप्रतिनिधि को इसकी भनक तब लगी, जब वहां निर्माण होने लगा। बोर्ड के निर्णय पर लोकनिर्माण विभाग ने काम जल्द से जल्द पूरा करने के चलते दो दिन में ही 150 मीटर लंबाई में डिवाइडर बना दिया। वैसे तो कुल 700 मीटर लंबा डिवाइडर बनाया जाना है। अनियोजित तरह से बन रहे डिवाइडर का मुद्दा दैनिक जागरण ने उठाया तो दुकानदार ने भी डिवाइडर का विरोध किया। चौदह मीटर चौड़ी सड़क पर करीब सवा मीटर चौड़ा और आधा मीटर ऊंचा डिवाइडर बनने से आमने सामने जाना मुश्किल हो गया। विरोध के बीच निर्माण कार्य रोक दिया गया लेकिन कार्यदायी संस्था लोकनिर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता मनीष वर्मा डिवाइडर को तोड़े जाने पर 10.6 लाख रुपये की शासकीय क्षति बता रहे हैं और खर्च रकम को बट्टे खाते में डालने का सुझाव दे रहे हैं, जिससे ऑडिट में मामला फंस न सके।