उत्तर प्रदेशराज्य

लोहिया संस्थान में बनेगा एडवांस न्यूरो सर्जरी सेंटर

स्वतंत्रदेश,लखनऊ : डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में एडवांस न्यूरो सर्जरी सेंटर बनाया जाएगा। इससे हेड इंजरी के मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। न्यूरो सर्जरी के साथ तीन नए विभाग भी संस्थान में खुलेंगे। संस्थान प्रशासन ने प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया है, जिसे जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है।

डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान का स्थापना दिवस कल मेधावियों का होगा सम्मान। न्यूरो सर्जरी के साथ तीन नए विभाग भी संस्थान में खुलेंगे।

यह जानकारी लोहिया संस्थान के निदेशक डा. एके सिंह ने दी। पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए डा. सिंह ने बताया कि लोहिया संस्थान अपना पहला स्थापना दिवस समारोह 20 मार्च को मनाएगा। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल मुख्य अतिथि होंगी। चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना, राज्यमंत्री संदीप सिंह, मुख्य सचिव आरके तिवारी और चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव भी कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे।

डा. सिंह ने बताया कि संस्थान में 38 से ज्यादा विभाग हैं। रोजाना सुपर स्पेशियलिटी में दो हजार से ज्यादा मरीज ओपीडी में आ रहे हैं। आपरेशन से लेकर आइसीयू और गुर्दा प्रत्यारोपण तक की सुविधा यहां उपलब्ध है। संस्थान में तीन नए विभाग प्लास्टिक सर्जरी, गठिया रोग व हिमेटोलॉजी खुलेंगे। प्लास्टिक सर्जरी की भूमिका इमरजेंसी में भी बढ़ रही है। आपरेशन के बाद प्लास्टिक सर्जरी के लिए मरीज दूसरे संस्थानों में जाने के लिए मजबूर हैं। इससे मरीजों की बेवजह की दौड़ खत्म होगी। गठिया रोग विभाग खुलने से मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।

शुरुआत में लोहिया संस्थान को चलाने की जिम्मेदारी केजीएमयू और फिर पीजीआई को मिली। उसके बाद नियमित निदेशक के रूप में डा. एमसी पंत को संस्थान चलाने की जिम्मेदारी मिली। डीन डा. नुजहत हुसैन ने बताया कि अभी संस्थान में करीब 950 बेड हैं। वर्ष 2006 में संस्थान की परिकल्पना हुई थी। 

वर्ष 2015 से 2019 के बीच संस्थान ने कई ऊंचाइयों को छुआ। संस्थान के पूर्व निदेशक व एनेस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष डा. दीपक मालवीय के कार्यकाल में संस्थान को एमबीबीएस की मान्यता मिली। कई विभागों में पीजी और सुपर स्पेशियलिटी कोर्स को मान्यता मिली। उसके बाद शहीद पथ स्थित 200 बेड के मातृ-शिशु एवं रेफरल हॉस्पिटल के संचालन की जिम्मेदारी मिली। वहीं, 20 एकड़ जमीन हॉस्टल और डॉक्टरों के आवास के लिए मिली। पांच सौ बेड के अस्पताल के लिए भी जमीन मिली। संस्थान में गुर्दा प्रत्यारोपण चालू हुआ। पीडियाट्रिक, इंडोक्राइन सर्जरी विभाग शुरू हुई। डीएसए लैब और दूसरी कैथ लैब शुरू हुई। न्यूरो आइसीयू का संचालक हुआ। कैंसर मरीजों की सिंकाई के लिए तीसरी लीनैक मशीनें लगीं। पैट स्कैन मशीन की स्थापना हुई।

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