चार वर्ष की यात्रा में कई ‘मील के पत्थर’
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की इन चार वर्ष की यात्रा पर आकलन का फीता रखें तो कई ‘मील के पत्थर’ लगे नजर आएंगे। पिछली दो सरकारों के कार्यकाल में एक-एक एक्सप्रेस-वे के सहारे प्रगति पथ पर चढ़े उत्तर प्रदेश को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने चार एक्सप्रेस-वे की सौगात देकर संभावनाओं के नए रास्ते खोले। गड्ढा मुक्त हुईं 332804 किलोमीटर सड़कों के अलावा नई बनीं 13613 किलोमीटर सड़कों ने भी अवस्थापना सुविधाओं के विकास की बड़ी लकीर खींची है।
उत्तर प्रदेश की सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अवस्थापना सुविधाओं के जरिये ईज ऑफ लिविंग की दिशा में काम शुरू किया। विकास का क्षेत्रीय संतुलन बनाते हुए हर अंचल को एक्सप्रेस रफ्तार देने के लिए पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे और फिर गंगा एक्सप्रेस-वे का खाका खींचा। इनमें लखनऊ के चांदसराय से गाजीपुर तक निर्माणाधीन 340.824 किलोमीटर लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और चित्रकूट से इटावा के कुदरैल में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे तक बनाया जा रहा 296.07 किलोमीटर लंबा बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे इसी वर्ष चालू करने का दावा सरकार ने किया है।
गोरखपुर बाईपास एनएच-27 स्थित जैतपुर से आजमगढ़ तक बन रहा 91.352 किलोमीटर लंबा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है। वहीं, देश के सबसे बड़े, मेरठ से प्रयागराज तक प्रस्तावित लगभग 594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन अधिग्रहण शुरू हो चुका है।लोक निर्माण विभाग को इसका जिम्मा सौंपा गया। सरकार का दावा है कि अब तक 332804 किलोमीटर सड़कें गड्ढामुक्त हो चुकी हैं। 13613 किलोमीटर सड़कों का चौड़ीकरण या पुनर्निर्माण हुआ है, जबकि 13189 किलोमीटर सड़कें नई बनाई गई हैं।
जमीन पर उतरा हवाई अड्डों का काम : योगी सरकार अपनी उपलब्धियों में इस तथ्य को बार-बार उभारती है कि वर्ष 2017 तक केवल चार एयरपोर्ट लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर और आगरा थे। वर्तमान सरकार ने प्रयागराज, कानपुर, हिंडन और बरेली हवाई अड्डे से उड़ान शुरू कराई। कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा उड़ान के लिए तैयार है। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जेवर के लिए जमीन अधिग्रहण शुरू हो चुका है। अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनना शुरू हो गया।
यूं बढ़ाए अवस्थापना विकास की ओर कदम
- एक लाख चार हजार 636 राजस्व गांव और दो लाख 84 हजार मजरे विद्युतीकृत।
- जिला मुख्यालयों में 24 घंटे, तहसील मुख्यालयों में 22 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों 18 घंटे बिजली आपूर्ति।
- चार वर्ष में पारेषण क्षमता में 53 फीसद की वृद्धि।
- छह हजार मेगावाट बढ़ी बिजली उत्पाद क्षमता।
- 33 केवी क्षमता के 656 नए सबस्टेशन बने।
- 24798 पंचायत भवनों का निर्माण।
- 24 जिलों में 26 पंचायत लर्निंग सेंटर स्थापित।