उत्तर प्रदेशराज्य

अपनी ही अनदेखी से होते 71 फीसद सड़क हादसे

लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर शनिवार सुबह अनियंत्रित कार सड़क किनारे खड़े ट्रक से जा टकराई और चालक की मौके पर ही जान चली गई। घटना में ओवरस्पीड से लेकर सड़क पर अनजाने खतरों और अव्यवस्था के सवाल भी खड़े हुए। ऐसे हादसों को लेकर कई बार आरोप-प्रत्यारोप भी सामने आते हैं, लेकिन दुर्घटनाओं के आंकड़ों व कारणों का विश्लेषण कुछ अलग ही तस्वीर पेश करता है। एक ऐसी सच्चाई भी, जो हम सबको कठघरे में खड़ा करती है। यानी वाहन दौड़ाने वाले हर उस शख्स को जो जल्दबाजी में या फिर जानबूझकर यातायात नियमों से आंख मूंद लेता है।

यूपी में हर साल औसतन 35 हजार दुर्घटनाएं होती हैं और करीब 22 हजार लोगों की असमय मौत।

उत्तर प्रदेश में होने वाली दुर्घटनाओं में 71 फीसद हादसों की वजह इंसान की गलती के रूप में सामने आती है, जबकि 29 फीसद हादसों के लिए रोड इंजीनियरिंग से लेकर वाहन की फिटनेस व अन्य अव्यवस्थाएं हैं। यह हमें सावधान भी करता है। हम खुद थोड़ा संयम और सावधानी बरत कर अपनी, अपने परिवार व दूसरों की जान को खतरे में डालने से बचा सकते हैं।

सावधानी बरत बड़े हादसों को टाला जा सकता : एडीजी यातायात अशोक कुमार सिंह का कहना है कि वाहन चलाने के दौरान नियमों का पालन करने तथा खासकर सीमित गति में वाहन चलाकर बड़े हादसों को टाला जा सकता है। यातायात माह के दौरान लोगों को इसके प्रति लागातार जागरूक भी किया जाता है। थोड़ा समय बचाने के लिए सड़क पर की गई लापरवाही का खमियाजा लोगों को बड़ी कीमत चुकाकर भुगतना पड़ रहा है।

ओवरस्पीडिंग से होते हैं 65 फीसद हादसे : एडीजी यातायात अशोक कुमार सिंह ने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं के कारणों के विश्लेषण में पाया गया है कि सूबे में सबसे अधिक दुर्घटनाएं ओवरस्पीड के चलते होती हैं। कुल हादसों में ओवरस्पीड के चलते 60 से 65 फीसद हादसे होते हैं। हाईवे पर छोटे वाहन ओवरस्पीड के चलते संतुलन खो देते हैं और बड़े हादसे होते हैं। इसके अलावा नशे में वाहन चलाने, ड्राइव करते समय मोबाइल पर बात करने व उल्टी दिशा में वाहन चलाने के कारण भी बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं होती हैं।

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