उत्तर प्रदेशराज्य

लगातार चौथे दिन गरजा बुलडोजर

स्वतंत्रदेश ,लखनऊनगर में पिछले एक माह से अतिक्रमण हटाओ अभियान चल रहा है। शुक्रवार को भी शहर में सड़क पर हुए अवैध कब्जे पर ईओ नगर पालिका की अगुवाई में अभियान चलाया गया। नगर के एफआर रोड से बिसौली गेट नाले तक प्रमुख मार्ग पर सड़क किनारे से दुकानों के आगे नाले पर किया अतिक्रमण को हटवाया गया। कार्रवाई शुरू होने के बाद अफरा-तफरी मच गई। अधिकांश लोग तो स्वयं हटाने लगे। वहीं प्रशासन का सख्त रवैया और स्टे खारिज होने के बाद चैंबर को खाली करने में अधिवक्ता भी जुटे रहे।नगर के चल रहा अतिक्रमण हटाओ अभियान जारी है और शुक्रवार को सड़क व नाले पर किए दुकानदारों के अवैध कब्जे को हटाने के लिए ईओ कृष्ण कुमार सोनकर की अगुवाई में नगर पालिका टीम पीएसी के जवानों के साथ सुबह नौ बजे एफआर रोड पर पहुंच गए। जहां पर उन्होंने दुकानों के आगे स्लैब से किया गया अतिक्रमण हटाना प्रारंभ कर दिया, जिस पर अन्य दुकानदारों ने खुद ही अपनी दुकानों के आगे स्लैब को तोड़ना शुरु कर दिया।परिसर के बाहर सड़क किनारे चैंबर को अतिक्रमण अभियान के तहत हटाने के डिप्टी कलक्टर ने आदेश दिये थे, जिस परअधिवक्ताओं ने चैंबर न हटने के लिए न्यायालय में स्टे के लिए प्रार्थना पत्र दिया। वहीं नगर पालिका ने भी चैंबर को सड़क पर होने और हटाने की बात कहीं। इस पर न्यायालय सिविल जज सीनियर डिवीजन चंदौसी उसके बाद 15 दिन तक चैंबर को न तोड़ने के साथ चार दिसंवर को सुनवाई के लिए रखा।बुधवार को सुनवाई के बाद गुरुवार को न्यायालय ने उनके प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। इसकी जानकारी होने के बाद प्रशासन ने शुक्रवार को सड़क पर बने चैंबर हटाने का निर्णय लिया और लाउडस्पीकर से एलाउंस कराकर दो बजे तक सभी चैंबर को खाली करने की अपील की।चैंबर हटाने के विरोध में अधिवक्ता सड़क पर उतर आए और जिला बार एसोसिएशन अध्यक्ष नजर कुरैशी व पूर्व बार अध्यक्ष राजेश यादव के साथ आदेश के विरुद्ध जनपद न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को लेकर विचार विमर्श किया, लेकिन इसी बीच कई अधिवक्ता अपने चैंबर को खाली करने के लिए सामान हटाने में जुट गए।उसके बाद अधिवक्ताओं ने न्यायालय परिसर में एसडीएम नीतू रानी को बुलाकर उनको हटाने से पहले न्यायालय परिसर में स्थापित करने या फिर कुछ दिनों के लिए चैंबर न हटाने की बात कहीं। इस पर उपजिलाधिकारी ने जिलाधिकारी के निर्देश की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया।

तीस घंटे का भी समय नहीं दे रहा प्रशासन

अधिवक्ताओं ने कहा कि तीस दिन का अपील का समय होता है, लेकिन उनको प्रशासन तीस घंटे का भी समय नहीं दे रहा है। जबकि वह मिलक मौलागढ की गाटा संख्या 196 में 25 वर्ष से काबिज है और चैंबर भी न्यायपालिका में हैं।प्रशासन के तानाशाही रवैये को लेकर अभी रविवार को वह स्वयं अपने चैंबर हटा लेंगे, लेकिन अपनी जमीन के लिए जिला न्यायालय में सोमवार को अपील करेंगे अगर वहां से भी खारिज होती है तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ेंगे और फिर से दोबारा अपनी जमीन पर ही काबिज होंगे।

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