प्रदेश में हादसों में ये टॉप पांच में शामिल
स्वतंत्रदेश,लखनऊकानपुर में नियमों को धता बताकर शहर की सड़कों पर फर्राटा भर रहे वाहनों की रफ्तार की वजह से सड़कें खून से लाल हो रही हैं। हर दिन शहर में एक से दो लोगों की सड़क हादसों में मौत हो रही है। इन हादसों में ज्यादातर में कारण वाहनों का तय से ज्यादा रफ्तार से सड़क पर दौड़ना कारण रहा है।इसके बावजूद ट्रैफिक पुलिस ऐसे वाहन चालकों पर नकेल कसने में नाकाम साबित हो रही है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि ट्रैफिक पुलिस के पास वाहनों की रफ्तार नापने के लिए पर्याप्त संसाधन ही नहीं है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार ट्रैफिक पुलिस के पास ओवर स्पीड करने वाले वाहनों की रफ्तार जांचने के लिए न तो इंटरसेप्टर कार है और न ही लेजर स्पीड गन हैं।महज दो स्पीड रडार गन हैं लेकिन वह भी ट्रैफिक पुलिस लाइन में धूल फांक रही हैं। वहीं, स्मार्ट सिटी मिशन के तहत लगे हाईटेक सीसीटीवी कैमरे भी काम नहीं कर रहे हैं। ऐसे में नियमों काे धता बताकर सड़कों पर फर्राटा भरने वालों के खिलाफ कार्रवाई करना ट्रैफिक पुलिस के फिलहाल दूर की कौड़ी है।
छह माह में 721 हादसे, 271 की जा चुकी जान
ट्रैफिक पुलिस लगातार योजनाएं बनाकर दावे करती है लेकिन अभी तक एक भी योजना का जमीन पर असर नहीं दिख रहा। आंकड़ों की बात करें तो पिछले छह माह में 721 सड़क हादसे हुए हैं जिनमें 271 की जान जा चुकी है। रफ्तार नापने वाली इंटरसेप्टर कार पुरानी होने से उसका रडार काम नहीं कर रहा। स्मार्ट सिटी के तहत प्रमुख चौराहों पर लगे हाईटेक कैमरे बंद हैं।
पांच माह में 2,92,910 चालान
संसाधनों के न होने के बावजूद ट्रैफिक पुलिस हर साल करोड़ों रुपये का जुर्माना जरूर वसूल रहा है। पिछले पांच माह में पुलिस 2,92,910 वाहनों का चालान कर दो करोड़ 42 लाख 68 हजार रुपये रुपये शमन शुल्क वसूल चुकी है।
सभी जोन के डीसीपी से मांगे सुझाव
सड़क हादसों को रोकने के लिए डीसीपी ट्रैफिक आरती सिंह ने जोन के सभी डीसीपी को पत्र भेजकर सुझाव मांगे हैं। कोशिश है कि सड़क दुर्घटनाओं में मृतकों की संख्या में 50 प्रतिशत कमी लाने के लिए नए सिरे से एक्शन प्लान तैयार किया जाए। इसमें बेहतर रोड इंजीनियरिंग, दुर्घटना पर रैपिड रिस्पांस, गोल्डन ऑवर में बेहतर ट्रामा केयर सुविधा, प्रभावी कार्रवाई और जन जागरूकता अभियान चलाने की अपील शामिल है।