अब हलाल प्रमाणन कर रहीं कंपनियों पर होगी कार्रवाई
स्वतंत्रदेश ,लखनऊबरेली में चार दिन से चल रही हलाल प्रमाणन खाद्य पदार्थों की पड़ताल अब स्थगित हो गई है। शासन से हलाल प्रमाणन के संबंध में चिह्नित 92 कंपनियों की सूची मिलने के बाद सर्वे शुरू होगा। अब शोरूम के बजाय सीधे कंपनियों पर ही कार्रवाई की जाएगी।खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के सहायक आयुक्त खाद्य द्वितीय अपूर्व श्रीवास्तव के मुताबिक शासन से हलाल प्रमाणन वाले खाद्य पदार्थों की जांच के निर्देश मिलने पर सर्वे शुरू हुआ। शॉपिंग मॉल, कॉम्प्लेक्स की जांच हो रही है।
बृहस्पतिवार को भी सर्वे की तैयारी थी लेकिन खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन आयुक्त की ओर से पत्र मिला। इसमें हलाल प्रमाणन करने वाली 92 कंपनियों का जिक्र है जो नेशनल एक्रेडिएशन बोर्ड फॉर क्वालिटी बॉडीज (एनएबीसीबी) के तहत पंजीकृत नहीं हैं। सूची में अगर बरेली की कोई कंपनी शामिल होगी तो उसकी जांच होगी।
दिशानिर्देश के तहत अगर कंपनी को क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के तहत एनएबीसीबी में पंजीकृत कराना है, क्या-क्या खाद्य पदार्थ हलाल प्रमाणन में आएंगे, इसकी भी गाइडलाइन जारी होगी। ताकि जरूरत के मुताबिक उत्पादों का शासनादेश के तहत निर्यात किया जा सके।
हलाल प्रमाणन गैर शरई: शहाबुद्दीन
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बृहस्पतिवार को कहा कि हलाल प्रमाणन गैर शरई है। यह मुसलमानों के साथ धोखा है। मौलाना ने कहा कि प्रमाणपत्र का एक टुकड़ा दे देने से शरई तौर पर हराम चीज को हलाल और हलाल को हराम नहीं किया जा सकता है। जो संस्थाएं ऐसा कर रही हैं, वह अपराध की श्रेणी में आता है। शरीयत में हलाल का तरीका बताया गया है। सिर्फ हलाल प्रमाणन से कोई चीज हलाल में शामिल नहीं हो सकती।
मौलाना ने कहा कि हलाल टैग सिर्फ मीट पर ही लगाया जा सकता है। अगर किसी दूसरे उत्पाद पर इसे लगाया जा रहा है तो यह एक अच्छे शब्द का दुरुपयोग है। शरीयत में हलाल शब्द सिर्फ जानवरों के मांस के संबंध में इस्तेमाल हुआ है। इसके अलावा अन्य चीजों का इस्तेमाल जायज या नाजायज हो सकता है, लेकिन उन पर हलाल का टैग नहीं लगाया जाना चाहिए। मौलाना ने सरकार से हलाल बोर्ड के गठन की मांग की है और कहा है कि ऐसे लोगों को जिम्मेदारी दी जाए जो शरई तौर पर काम करने में सक्षम हो।